अगर आप हिमाचल प्रदेश के मलाणा गांव जा रहे हैं तो इस गांव में जाने पहले इसके बाहर लगे हिंदी और अंग्रेजी में लिखे बोर्ड को ध्यान से पड़ लीजिए। नहीं तो गांव द्वारा बनाए गए कानून को तोड़ने के लिए आपको जुर्माना देगा पड़ेगा। ऐसा नहीं करने पर कुछ दिनों यहां के राजा का नौकर बनना पड़ सकता है। बता दें कि इस गांव में करीब 6 स्थल ऐसे हैं जिन्हें छूने की सख्त मनाही है। यहां कुछ स्थल तो ऐसे हैं कि खुद गांव के निवासी इन्हें नहीं छूते। हालांकि मंदिर के पुजारी और विशेष लोग ही स्नान के बाद इन स्थानों पर जा सकते हैं। मामले में गांव के निवासियों ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि इन स्थानों को कोई बिना इजाजत छूता है तो उनके देवता नाराज हो जाएंगे और उनकी नाराजगी की वजह से पूरे गांव में तबाही आ सकती है। खबर के अनुसार गांव के निवासियों ने भी कई बार खुद को आधुनिकता में ढालना चाहा तो पूरा गांव तबाह हो गया। बता दें कि साल 2006 और 2008 में लगी आग की वजह से पूरा गांव तबाह हो गया था। इस घटना के बाद पूरे गांव में अब देव नियम और सख्त कर दिए हैं।
पूरी दुनिया में मशहूर प्राचीनतम लोकतंत्र के रीति रिवाजों से चलने वाला ये गांव किसी हैरत से कम नहीं है। यहां पर लागू कानून भी अपने आप में अजीब हैं। यहां सरकार और पुलिस का अधिकार नहीं चलता। गांव के लोगों की अपनी ही सरकार। अपना ससंद है। अपना राजा है। और अपना अलग कानून है। यहां गुनाहगार को सजा देने का भी अपना ही प्रावधान है। गांव में बकायदा निम्न और उच्च सदन बने हुए हैं। करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बसे मलाना गांव में महज 4700 लोग निवास करते हैं। ये लोग अपनी पुरानी स्थानीय भाषा कणाशी बोलना ही पसंद करते हैं। बता दें कि इन दिनों मलाणा गांव में देशी और विदेशी पर्यटकों का भीड़ लगी हुई है।
इसीलिए अपनी संस्कृति की सुरक्षा के लिए गांव के पंचायत प्रधान बागी राम ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, ‘हमने गांव की संस्कृति की सुरक्षा के लिए नए निमय बनाए हैं। जिसके तहत गांव के निवासियों को अपना घर सैलानियों को किराए पर देने और उनका गेस्ट हाउस की रूप में इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही गई है। जो इन नियमों को उल्लंघन करेगा उसे इसकी सजा दी जाएगी।’ बता दें कि कुछ महीने पहले भी गांव में बाहरी लोगों द्वारा फोटोग्राफी पर रोक लगा दी थी।