भारत पाकिस्तान के बंटवारे पर फिल्म बनाना काफी मुश्किल काम होता है। इसकी वजह है इसमें कई लोगों की भावनाओं के आहत होने का डर लगा रहता है। लेकिन गुरिदंर चढ्ढा को अपना काम अच्छी तरह से करना आता है। इसी वजह से प्यार और दूसरे एंगल से उन्होंने फिल्म की कहानी गढ़ी है। फिल्म की कहानी भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबैटन के भारत को आजादी दिलाने के लिए आने से होती है। फिल्म में आलिया यानी हुमा कुरैशी और मनीष दयाल यानि जीत के बीच प्यार को दिखाया जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि लॉर्ड माउंटबैटन और उनकी पत्नी लेडी एडविना के मन में भारत के लोगों के प्रति संवेदना है।
पार्टिशन को अग्रेंजी में द वायसराय हाउस के नाम से रिलीज किया गया था। इसे हिंदी में डब करके 18 अगस्त को भारत में रिलीज किया जा रहा है। कुछ ड्रामा के बाद फिल्म में तीन देशों के बीच जारी तनाव को दिखाया जाता है। निर्देशक चढ्ढा का परिवार खुद बंटवारे से प्रभावित हुआ है। इसलिए फिल्म में कई जगह आपको उनका अपना नजरिया देखने को मिलेगा। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे दो देशों के बीच धार्मिक मतभेद दंगो का रूप ले लेते हैं। साथ ही दिखाया गया है कि कैसे कुछ लोग बंटवारे का विरोध करते हैं। फिल्म में ओम पुरी ने आलिया के अंधे पिता का किरदार निभाया है।
ओम पुरी को अपनी बेटी के जीत के साथ अफेयर होने के बारे में पता होता है। जीत जब पहली बार आलिया से मिलता है तो उससे कहता है कि मैं करुंगा तुमसे शादी। वहीं बीच में आलिया और जीत का साथ होना कुछ लोगों को पसंद नहीं आता और वो इसपर आपत्ति जताते हैं। बंटवारे के समय आलिया जीत को छोड़कर पाकिस्तान जाने का निर्णय लेती है।
फिल्म की कहानी विंस्टन चर्चिल द्वारा लिखी विवादित किताब पर आधारित है। जिसके अनुसार 1945 में ही भारत को आजाद करने का प्लान बना लिया गया था। वहीं हमें आजादी 1947 को मिली। चढ्ढा ने इस फिल्म में उस दौर के दर्द को दिखाने की पूरी कोशिश की है। लेकिन कमजोर कहानी ने उनका साथ नहीं दिया।