Thursday, May 16, 2024
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हिमाचल प्रदेश के सीएम रहे वीरभद्र सिंह को मिली जमानत, जानिए मामला…

SI News Today

दिल्ली की एक विशेष अदालत ने सात करोड़ रुपए के धन शोधन मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी और तीन अन्य को गुरुवार (22 मार्च) को जमानत दे दी. विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को राहत दी. पिछली सुनवाई में दोनों के खिलाफ सम्मन जारी किए गए थे जिसके जवाब में वे अदालत में पेश हुए. अदालत ने अन्य आरोपी प्रेम राज और लवन कुमार रोच के अलावा यूनिवर्सल एप्पल एसोसिएट के मालिक चुन्नी लाल चौहान को भी जमानत दी. सभी आरोपियों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतने की ही जमानत राशि पर राहत दी गई.

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से वकील नितेश राणा ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए उनकी न्यायिक हिरासत की मांग की. बहरहाल, अदालत ने यह कहते हुए उन्हें जमानत दे दी कि ईडी ने पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था. अदालत ने 12 फरवरी को आरोपियों के लिए सम्मन जारी किए थे और कहा था कि ‘‘प्रथम दृष्टया’’ उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.

अदालत ने वीरभद्र दंपति को भेजा था समन भेजा
धनशोधन मामले में आरोपी हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी को एक अदालत ने बीते 12 फरवरी को समन भेजा था. मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दाखिल आरोप-पत्र स्वीकार करने के बाद विशेष न्यायाधीश संतोष स्नेहा मान ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व अन्य-चुन्नी लाल चौहान, प्रेम राज और लवन कुमार रोच को 22 मार्च को अदालत में पेश होने को कहा था. ईडी ने मामले में वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व अन्य-चुन्नी लाल चौहान, प्रेम राज और लवन कुमार रोच के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया है.

इससे पहले, ईडी ने अपना पहला आरोप-पत्र जीवन बीमा निगम एजेंट आनंद चौहान के खिलाफ दर्ज किया था, जिसमें उन्हें वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी समेत परिवार से सदस्यों के नाम एलआईसी की पॉलिसी खरीदने में वीरभद्र सिंह से 5.14 करोड़ रुपए निवेश करवाने का आरोपी ठहराया गया था. जांच में पाया गया कि वीरभद्र सिंह ने खुद व अपने परिवार के सदस्यों के नाम 6.03 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां बनाई थी, जो बतौर केंद्रीय इस्पात मंत्री 2009 से लेकर 2011 तक की अवधि में उनके ज्ञात स्रोत से प्राप्त आय से अधिक है. ईडी ने वीरभद्र सिंह को अपनी पत्नी और चौहान की मदद से धनशोधन कार्य में लिप्त होने का आरोपी ठहराया. ईडी का आरोप है कि उन्होंने काले धन का उपयोग कर अपने परिवार के सदस्यों के नाम एलआईसी की पॉलिसी खरीदी.

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