Friday, May 17, 2024
featuredदिल्लीदेश

भीषण ठण्ड में भी अटल जी के भाषण को सुनने आते थे लोग

SI News Today

People used to listen to Atal ji’s speech even in the cold winter

    

प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार देश का नेतृत्व किया है. इस दौरान उन्होंने अपने भाषणों से सबको मन मुग्ध कर लिया था. विरोधी पार्टियों ने एक बार अटल बिहारी वाजपेयी पर आरोप लगाया था कि उन्हें सत्ता का लोभ है, जिसका जवाब उन्होंने 28 मई 1996 में आत्मविश्वास प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में कहा, भगवान राम ने कहा कि मैं मरने से नहीं डरता, डरता हूँ तो सिर्फ बदनामी से हूँ.  वही एक बार इंदिरा गाँधी ने उन्हें बोला था कि अटल बिहारी बाजपेयी बहुत हाथ हिला कर बात करते हैं, जिसका जवाब देते हुए अटल जी ने कहा कि वो तो ठीक है, लेकिन क्या अपने कभी किसी को पैर हिलाते हुए बात करते देखा है क्या..उनके दिए गए जवाब के बाद किसी ने फिर कभी विरोधियों ने उनपर कोई ऐसे आरोप नहीं लगाए.

ऐसा सुनाने को मिला है कि इमरजेंसी के दौरान जब वाजपेयी जेल में बंद थे तभी इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा कर दी थी जिसके बाद सब लोग छूट गए. वही चुनाव प्रचार के लिए कम वक्त था, दिल्ली में जनसभा हो रही थी. उसमे जनता पार्टी के नेता आकर स्पीच देते थे. सबके चेहरे थके से लग रहवे थे फिर भी जनता हिल नहीं रही थी. ठंड का मौसम था और बारिश भी हल्की होने लगी थी लेकिन कोई पब्लिक हिल तक नहीं रही वहा से, जिसे देख तभी एक नेता ने बगल वाले से पूछा कि लोग जा क्यों नहीं रहे? बोरिंग स्पीच हो रही है और ठंड भी है? जवाब मिला कि अभी अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण होना है, इसीलिए लोग रुके हुए हैं.

अटल  जी के भाषण इतने सटीक और मजेदार हुआ करते थे जिसे सुनने के लिए विपक्ष भी शांत बैठा करता था. उनके प्रभावी भाषण के अंश –

वाजपेयी जब देश के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय संसद में विश्वास मत के दौरान उन्होंने प्रभावी भाषण दिया था. उन्होंने कहा था कि ये कोई चमत्कार नहीं है कि हमें इतने वोट मिल गए हैं. बल्कि ये हमारी 40 साल की मेहनत का नतीजा है.हम लोगों के बीच गए हैं और हमने मेहनत की है.हमारी 365 दिन चलने वाली पार्टी है. ये चुनाव में कोई कुकुरमुत्ते की तरह पैदा होने वाली पार्टी नहीं है.

1992 को भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अयोध्या में नुकीले पत्थर निकले हैं, उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता. इसलिए जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक करना पड़ेगा. मैं नहीं जानता कल वहां क्या होगा. मेरी अयोध्या जाने की इच्छा है, लेकिन मुझे कहा गया है कि तुम दिल्ली रहो.

1977 में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर सभी के दिल में हिंदी भाषा का गहरा प्रभाव छोड़ दिया था

अटल जी के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था, वही इस परीक्षण को रोकने के लिए अमेरिका ने भारत पर नजर गड़ाए हुई थी, लेकिन सबको मात देते हुए भारत ने यह कर दिखाया. इस पर वाजपेयी का दिया भाषण ऐतिहासिक साबित हुआ था.

15 अगस्त 2003 को लाल किले की प्राचीर से अटल जी ने अपने अंतीम भाषण में कहा था, प्यारे देशवासियो आज देश ऐसे मोड़ पर है जहां से देश एक लंबी छलांग लगा सकत है, भारत को 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के बड़े धेय्य को हासिल करने की तमन्ना सारे देश में बल पकड़ रही है। जरा पीछें मुड़कर देखिए, बड़े बड़े संकटों का सामना करके भारत आगे बढ़ रहा है

SI News Today

Leave a Reply