रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट जारी किए हैं। इसमें रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत ही रखकर उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन रिवर्स रेपो रेट को बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है।
क्या होता है रेपो रेट (Repo Rate)
बैंक को भी अपने कामों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में सभी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। अगर बैंकों को सस्ते ब्याज पर पैसा मिलेगा तो वह लोगों को भी सस्ता लोन ले सकेगा जिसकी ब्याज दर कम होंगी।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)
जब बैंक के पास पैसा ज्यादा होता है तो वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास अपना पैसा रख देता है। इसपर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। यानी जो ब्याज आरबीआई द्वारा दिया जाता है उसको रिजर्व रेपो रेट कहते हैं।
रिवर्स रेपो रेट क्यों बढ़ाया जाता है ?
जब भी आरबीआई को लगता है कि बाजार में ज्यादा नकदी है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज़्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमें उसके पास जमा करा दें। जिससे बैंकों के पास बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाए।