मुरादाबाद में करीब 50 दलित परिवारों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को धमकी देते हुए कहा है कि अगर उनकी जाति के लोगों पर ‘भगवा-धारियों’ के हमले जल्द से जल्द बंद नहीं कराए गए तो वो सभी हिन्दू धर्म छोड़कर किसी अन्य धर्म में शामिल हो जाएंगे। यह बयान 14 अक्टूबर 1956 की उस घटना की याद दिलाता है जब बाबा साहेब ने अपने हजारों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया था।
रविवार को एक दलित सामाजिक संगठन के मुखिया लल्ला बाबू द्रविड़ के नेतृत्व में मुरादाबाद स्थित रामगंगा नदी के किनारे सभी परिवार इक्ट्ठा हुए और विरोध के रूप में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्ती का विसर्जन किया। लखनऊ से करीब 400 किमी दूर स्थित मुरादाबाद में भारतीय बाल्मीकि समाज के प्रमुख द्रविड़ ने पत्रकारों के बताया, “धर्म परिवर्तन की ओर यह हमारा पहला कदम है। हिन्दी धर्म में रह जाने कोई मतलब नहीं रह जाता अगर इस तरह धर्म के कथित ठेकेदार हमारी जाति के कारण हमला करते रहेंगे।”
दलित नेता ने दावा किया कि मुरादाबाद और आसपास के जिलों के करीब 500 दलित परिवार हिन्दू धर्म का त्याग करना चाहते हैं। दलित नेता ने सहारनपुर में हुई दलित-ठाकुर हिंसा का जिक्र किया। बता दें कि मुरादाबाद से करीब 200 किमी दूर स्थित सहारनपुर से शब्बीरपुर गांव में अंबेडकर मूर्ती से तोड़फोड़ को लेकर 5 मई को हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो गई थी। बाबू द्रविड़ ने कहा, “सहारनपुर इस बात का सबूत है कि योगी आदित्यनाथ सरकार हमारे लिए नहीं है। मुख्यमंत्री के भगवा समर्थकों ने शब्बीरपुर में दलितों पर अत्याचार किया और घरों को आग लगा दी। अब यही हमलावर दलितों को गांव छोड़ने पर मजबूर कर रहे हैं।”
5 मई की हिंसा की शुरुआत उस समय हुई थी जब ठाकुर समुदाय के लोग महाराणा प्रताप जयंति पर जुलूस निकाल रहे थे। इस दौरान तेज आवाज में संगीत बजाने पर दलितों ने आपत्ति की थी। दोनों पक्षों में इस बात को लेकर विवाद हो गया और बाद में हिंसा भड़क उठी। हिंसा में एक ठाकुर की मौत हो गयी और दलितों के 25 घर जला दिए गए थे।