Sunday, April 28, 2024
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अखिलेश यादव सरकार ने एक ‘घोटालेबाज’ अफसर को सीबीआई से बचाने के लिए चार वकीलों को दिए 21.25 लाख रुपये

SI News Today

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नोएडा के पूर्व मुख्य इंजीनियर यादव सिंह को सीबीआई जांच से बचाने के लिए 21.15 लाख रुपये खर्च किए थे। अखिलेश यादव सरकार ने ये पैसे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों की फीस के रूप में दिए। समाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना से मिली जानकारी के अनुसार अखिलेश यादव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील कपिल सिब्बल को 8.80 लाख रुपये, हरीश साल्वे को पांच लाख रुपये, राकेश द्विवेदी को 4.05 लाख रुपये और दिनेश द्विवेदी को 3.30 लाख रुपये दिए गए थे। नूतन ठाकुर की याचिका पर ही हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
यादव सिंह को सीबीआई ने फरवरी 2016 में ठेके देने में पद का दुरुपयोग करके सरकार को चूना लगाने और घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कालेधन को सफेद करने के मामले में यादव सिंह की 19.92 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर लिया था। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यादव सिंह के मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की अपील 16 जुलाई 2015 को पहली सुनवाई में निरस्त हो गयी थी। अगस्त 2015 को सीबीआई ने 954.38 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के संबंध में यादव सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। नूतन ठाकुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि एक दागी व्यक्ति को बचाने के लिए जनता के पैसे खर्च करना चिंताजनक है। ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के आधार पर यादव के ऊपर दो मामले दर्ज किए हैं।भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नोएडा के पूर्व मुख्य इंजीनियर यादव सिंह को सीबीआई जांच से बचाने के लिए 21.15 लाख रुपये खर्च किए थे। अखिलेश यादव सरकार ने ये पैसे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों की फीस के रूप में दिए। समाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना से मिली जानकारी के अनुसार अखिलेश यादव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील कपिल सिब्बल को 8.80 लाख रुपये, हरीश साल्वे को पांच लाख रुपये, राकेश द्विवेदी को 4.05 लाख रुपये और दिनेश द्विवेदी को 3.30 लाख रुपये दिए गए थे। नूतन ठाकुर की याचिका पर ही हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
यादव सिंह को सीबीआई ने फरवरी 2016 में ठेके देने में पद का दुरुपयोग करके सरकार को चूना लगाने और घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कालेधन को सफेद करने के मामले में यादव सिंह की 19.92 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर लिया था। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यादव सिंह के मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की अपील 16 जुलाई 2015 को पहली सुनवाई में निरस्त हो गयी थी। अगस्त 2015 को सीबीआई ने 954.38 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के संबंध में यादव सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। नूतन ठाकुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि एक दागी व्यक्ति को बचाने के लिए जनता के पैसे खर्च करना चिंताजनक है। ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के आधार पर यादव के ऊपर दो मामले दर्ज किए हैं।
सीबीआई ने यादव सिंह के दिल्ली, गाजियाबाद और नोेएडा स्थित 12 ठिकानों पर छापा मारा था। यादव सिंह पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे के ठेकों में धांधली का आरोप है। सीबीआई ने यादव सिंह के ठिकानों से दस्तावेज, फाइलें, लैपटॉप, आईपैड और कम्प्यूटर जब्त किए थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने यादव सिंह और उनके परिजनों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए थे।
सीबीआई ने यादव सिंह के दिल्ली, गाजियाबाद और नोेएडा स्थित 12 ठिकानों पर छापा मारा था। यादव सिंह पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे के ठेकों में धांधली का आरोप है। सीबीआई ने यादव सिंह के ठिकानों से दस्तावेज, फाइलें, लैपटॉप, आईपैड और कम्प्यूटर जब्त किए थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने यादव सिंह और उनके परिजनों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए थे।

यादव सिंह के मामले का खुलासा इनकम टैक्स की जांच से हुआ था। सीबीआई के अनुसार 2009 से 2014 के बीच के इनकम टैक्स रिटर्न और दूसरे दस्तावेज के अनुसार यादव सिंह और उनके परिवार ने इस दौरान 1.70 करोड़ रुपये की बचत की थी और उनके पास 3.60 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। सीबीआई के अनुसार यादव सिंह के एक करीबी के पास से 10 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे।
यादव सिंह मामले की आंच प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के परिवार तक पहुंच गयी थी। मामले में मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल यादव के बेटे का नाम उछाला गया था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि अखिलेश सरकार इसी वजह से यादव सिंह का बचाव कर रही है। हालांकि अखिलेश यादव सरकार और रामगोपाल यादव परिवार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था।

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