देश को मिली आज़ादी,एक उन्नत देश का सपना संजोय भारतीय जनता।अब तक राजा महाराजा,मुगल,अंग्रेज की गुलामी से आज़ाद हुआ हमारा देश और यहां के लोग।1950 में जब हमने अपना संविधान लिखा और उसको लागू किया तब एक मन में सुकून था,की अब तक राजाओं और अंग्रेजों के शोषण से दबी जनता को कहीं न कहीं एक ताकत मिली प्रजातंत्र के रूप में।जिसको परिभाषित किया अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने जनता के द्वारा जनता के लिए….मतलब सब कुछ जनता ही है।प्रजातंत्र में एक स्वस्थ संसद होना बहुत आवश्यक है,अगर सरकार अच्छी तरह चलानी हो तो मजबूत विपक्ष होना बहुत ही आवश्यक है।और विपक्ष को भी सरकार की हर नीतियों की समीक्षा करके विरोध या उन नीतियों पर सहमत होना चाहिए।लेकिन क्या ऐसा है?आज के दौर की संसद में नीतियों से ज्यादा कोट और फ़टे कुर्ते पर बहस होती देखी गयी है।संसद का खर्च उठाने वाली जनता संसद में क्या यही देखना चाहती है।खैर इन उटपटांग नेताओं को संसद तक तो हमने ही पहुँचा दिया।अब तो हम नेताओं की काबलियत से ज्यादा पार्टी की लहर देख कर ही वोट डालते हैं।और इस लहर में कई लम्पट नेता भी संसद में मुंह बाए बैठे हैं।क्या शसक्त विरोधी चुनना जनता का कर्तव्य नहीं ,कई योग्य नेता जिनके विचारों की जनता को बहुत जरूरत है वो चुनावी महासंग्राम में लहर का शिकार या जनता को लुभाने में असमर्थ होने के कारण संसद तक नहीं पहुंच पा रहा यह कई बार देखा गया है। दिल्ली विधानसभा इस प्रसंग का एक अच्छा उदाहरण है जहाँ विपक्ष तो रह नही गया और वहां भी लहर में ही उड़ के आये कुछ भ्रष्टाचारी नेता विधानसभा में बैठ गए जो कि संदीप कुमार, जितेंद्र तोमर और घरेलू हिंसा में फसे सोमनाथ भारती के रूप में देखे गये। दिल्ली की कमजोर और अव्यवस्थित विधानसभा का कारण भी दिल्ली की जनता ही है जो कि एक भावनात्मक लहर में फस सी गयी।बैरहाल जनता ने इस बार के MCD चुनाव में इनको अपनी ताकत दिखा दी।विपक्ष का कमज़ोर होना प्रजातंत्र को राजतंत्र या तानाशाही में बदल देने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है।भला हो ईस्वर का की अब तक कोई हिटलर और किम जोंग जैसा नेता इतने बड़े बहुमत का प्रतिनिधि बन कर नहीं आया नहीं तो भारत की जनता को धर्म के नाम पर भड़काना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। हम आज भी कहीं न कहीं अपने मताधिकार का उपयोग समझ पाने में नाकाम से हैं।कल माननीय नरेंद्र मोदी जी शिमला में बोलते दिखे की उत्तर प्रदेश और दिल्ली की लहर हिमांचल में आ रही है,मतलब की अब हिमांचल वाले भी इस लहर में उड़ते दिखेंगे। बैरहाल पूर्ण बहुमत से आना एक मजबूत सरकार का रूप है जो जनता के लिए बिना हिचकिचाए कोई भी कड़े और अच्छे फैसले ले सकती है। एक स्वस्थ संसद का रूप एक मजबूत विपक्ष भी होता है।मुझे डर है कि लहर का कहर कहीं हमारे संसद को भी अस्वस्थ न कर दे।गलती जनता की भी है जो लहर में सराबोर पार्टी के अयोग्य नेता को जिताने के चक्कर मे विपक्ष के अच्छे और योग्य नेताओं का बायकाट कर देती है।तब मुझे अब्राहम लिंकन की प्रजातन्त्र की परिभाषा से एक नई बात देखने को मिलती है”जनता के द्वारा जनता कि की गई ऐसी तैसी ही होती है डेमोक्रेसी”।जनता को अपने मताधिकार का सही उपयोग आना चाहिए नहीं तो कहीं लहर के कहर में आपसे आपके भविष्य के लिए कोई गलती ना हो जाये।।
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the authorPushpendra Pratap singh
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