Friday, May 17, 2024
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खा गए राशन पी गए तेल, योगी राज में हो गया खेल।

SI News Today

The oil and ration consumed by the corruption game in the Yogi Raj.

           

“तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है,
  मगर ये आँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।”

आदम गोंडवी जी की ये दो लाइनें हमारे सिस्टम के अड़ियलपन और झूठ को साफ उजागर करती हैं। जिन्दा को मुर्दा और मुर्दा को जिन्दा बनाने वाले इस सिस्टम की स्थिति बद से बदत्तर होती जा रही है। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी भाषणों में कांग्रेस की कमियों को आज भी गिनाते नहीं थक रहे, वहीं अपने गिरेबान में झांकने का समय न उनके पास है ना उनके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास है। माना कि समस्याओं का ये पुलिंदा पिछले 60 सालों से बांधा गया है। लेकिन यह बात समझ से परे है कि वर्तमान में हो रही चोरी पर अंकुश लगाने में सरकार असमर्थ क्यों हैं।

मऊ जिले के खाद्यापूर्ती विभाग की हालत देख कर तो ऐसा ही लगता है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर खाद्य रसद मंत्री अतुल गर्ग भी भ्रष्ट अधिकारियों पर हाथ डालने से हिचक रहे हैं। कारण कुछ भी हो लेकिन सरकार के इस ढीले रवैये का खामियाजा एक गरीब को भूखे पेट सो कर ही भुगतना पड़ता है। आपको बता दें कि भारत में भुखमरी की स्थिति गंभीर रूप लेती जा रही है। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आई०एफ़०पी०आर०आई) के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जी०एच०आई) में भारत 100वें स्थान पर पहुंच गया है तथा आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले साल विकासशील देशों के इस सूचकांक में भारत की रैंकिंग 97वें स्थान पर थी, लेकिन एक साल में यह तीन पायदान और गिर गई है। ताज़ा रैंकिंग के मुताबिक़ भूखे देशों के मामले में भारत उत्तर कोरिया, बांग्लादेश यहां तक कि इराक़ से भी पीछे है। और यह आंकड़ें तब सामने आये हैं जब भारत मे करीब 4.6 लाख राशन की दुकानें हैं। खाद्य सुरक्षा पर भारत सरकार हर महीने 11726 करोड़ खर्च करती है और सालाना करीब 1,40,700 करोड़ का खर्च आता है।

लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतना भारी बजट खर्च करने के बावजूद भारत मे आज भी करीब 20 करोड़ लोग भूखे पेट क्यों सोते हैं।इसका जवाब है “खद्यान्न विभाग का भ्रष्ट तंत्र”। भारत सरकार प्रतिदिन सार्वजनिक खाद्य प्रणाली को सुधारने हेतु प्रयासरत है और हम उसका स्वागत भी करते हैं। लेकिन यदि कभी कोई नत्थू प्रसाद राशन की लाईन में अगर भूख से दम तोड़ता है तो रोटी और मौत के खेल में मौत की जीत कर पूरा श्रेय मऊ खाद्यपूर्ती विभाग जैसे अधिकारियों के सर ही जाना चाहिए, जिन्होंने गरीबों का निवाला छीन कर अपना आशियाना बनाया है। भोजन का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौलिक अधिकार के श्रेणी में रखा गया है। जिसका हनन करने वाले अधिकारियों को मात्र सस्पेंड कर देने से काम कैसे चलेगा। क्या सरकार द्वारा उनकी संपत्ति का सम्पूर्ण विवरण निकाल कर यह आकलन नही लगाया जाना चाहिए कि कौन कितना पानी मे हैं। सरकार द्वारा इस डिजिटल इंडिया में मात्र कोटेदारों पर ही नकेल कसने का ढोंग रचा जा रहा है। लेकिन अधिकारी आज भी पूर्व की तरह ही खाद्यान्न चोरी का खेल खेल रहे हैं।

आपको बता दें की मऊ जिले में जिलापूर्ति कार्यालय में तैनात पूर्ति निरीक्षक हर्षिता राय एवँ लिपिक धीरज कुमार अग्रवाल तथा जिलापूर्ति अधिकारी के अंतर्गत काम करने वाले प्राइवेट कर्मचारी एवं चपरासी नारायण यादव के द्वारा अधिकारियों के शह पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिसमे शिकायकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री से लेकर खाद्य एवं रसद मंत्री अतुल गर्ग समेत विभागीय अधिकारियों तक से शिकायत की गई है। लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाही देखने को नहीं मिली है। हमारे स्थानिय सूत्रों द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि विभाग के कर्मचारियों द्वारा इस शिकायत को ऊंचे स्तर से मैनेज कर लेने की बात कही जा रही है। मऊ खाद्यपूर्ती विभाग में अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक पर मुख्यमंत्री की कार्यवाही का भय किंचित मात्र न होना हमारी समझ से बिल्कुल परे है। योगी राज में राशन और तेल की चोरी का इतना बड़ा और इतना खुला खेल अभी तक देखने को नहीं मिला है। आखिर क्या कारण है कि एक तरफ निर्भीकता से गोण्डा और फतेहपुर में कार्यवाही करने वाले मुख्यमंत्री खाद्यान्न माफ़ियाओं के गढ़ मऊ जिले में कार्यवाही को लेकर इतना खामोश हैं ??

SI News Today
Pushpendra Pratap singh

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