Saturday, April 20, 2024
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शिवरात्रि के पर्व पर निकला मुहूर्त! 29 अप्रैल को खुलेंगे मंदिर के कपाट: केदारनाथ

SI News Today

उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए छह माह बंद रहने के बाद श्रद्धालुओं के लिए इस वर्ष 29 अप्रैल को खुलेंगे. मन्दिर समिति के प्रवक्ता डा. हरीश गौड ने बताया कि उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने का मुहूर्त निकाला गया. भगवान केदारनाथ के शीतकालीन प्रवास स्थल ओंकारेशवर मंदिर में रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारियों एवं वेदपाठियों की उपस्थिति में पंचांग गणना के बाद कपाट खोले जाने की तिथि निश्चित की गई.

गौड ने बताया कि मंदिर के कपाट मेष लग्न में 29 अप्रैल को सुबह सवा छह बजे खोले जाएंगे. उत्तराखंड के गढवाल हिमालय में स्थित चारों धामों, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंग़ोत्री और यमुनोत्री, के कपाट सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल—मई में फिर खोल दिये जाते हैं. हर वर्ष छह माह के इस यात्रा सीजन में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इन चारों धामों के दर्शन के​ लिए आते हैं.

पीएम मोदी ने की संवारने की कवायद
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदरानाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले पीएम मोदी ने यहां पूजा अर्चना की. इसके साथ ही पीएम ने केदारपुरी में 5 योजनाओं का शिलान्यास किया. 2013 में यहां आई तबाही से केदारपुरी को काफी नुकसान हुआ था, कई लोगों की जान चली गई थी. तब से अभी तक इसे संवारने का काम चल रहा है. अब पीएम मोदी इन योजनाओं से काम में तेजी लाना चाहते हैं. आपको बता दें कि शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढक जाती है, जिसके चलते केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है और छ: माह बाद अर्थात वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद मंदिर के कपाट खुलते है. ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं. इसी प्रतिमा की पूजा यहां भी रावल जी करते हैं.

16 जून 2013 की उस भयावह रात का मंजर
बाबा केदरानाथ के दरबार में 16 जून 2013 की रात जब शंख और घंटों की गूंज सुनाई दे रही थी उसी समय प्रकृति का ऐसा विक्राल रूप सामने आया जो सैंकडो़ं जानों को अपने साथ ले गया. बाबा केदार के धाम में आई जल प्रलय ने केदार घाटी की शक्ल बदल दी. पूरे शहर को वीरानी और मौत की चादर ने ढक लिया. ना होटल बचे ना धर्मशाला, ना जिंदगी बची और ना ही कुदरत की खूबसूरती. हजारों लोग जल प्रवाह में समा गए. इस नगरी में कुछ सलामत बचा तो वो था बाबा का मंदिर. जलप्रलय की धारा इतनी तेज थी कि पूरे केदारनाथ धाम में उसके बहने के निशान सैकड़ों फीट ऊपर से भी साफ नजर आते थे.

आपदा के बाद 4 मई 2014 को खुले थे कपाट
प्रकृति द्वारा मचाए गए तांडव के एक साल बाद 4 मई सुबह 6 बजे बाबा केदारनाथ के कपाट फिर से खोले गए थे. लेकिन इस बार यहां पहले जैसी रौनक नहीं दिखी. पहले जहां केदारनाथ धाम में करीब 15 हजार से ज्यादा लोग रुकते थे, वहीं साल 2014 में सिर्फ 150 लोगों के ही रुकने के इंतजाम हो पाया था. साल 2013 में मौसम का कहर झेल चुके बाबा केदारनाथ के मंदिर में सुरक्षा तथा श्रद्धाओं से संबंधित इंतजाम काफी बेहतर किए गए. उत्तराखंड के चार धामों (गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ) में से एक है.

बदल गया था मंदाकिनी का रुख
साल 2013 में आई तबाही से केदरानाथ के पड़ोस में बहने वाली मंदाकिनी नदी की धारा ने अलग रुख ले लिया था. जिससे पूरे उत्तराखंड की नदियां किनारे तोड़कर बहने लगीं. इस तबाही में पहाड़ दरक गए, सड़कें धसक गईं. हर ओर जल प्रलय का प्रचंड रूप देखने को मिला. पूरे उत्तराखंड की नदियों में मानव की बस्तियां समा गईं लेकिन जो कुदरत को जानते हैं वो कहते हैं कि बरसों मंथर बहती रहीं नदियां अपनी जमीन पाने को उमड़ीं थी.

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