Thursday, July 25, 2024
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इस फौलादी लड़की से खौफ खाते हैं लड़के

SI News Today

वो आम लड़कियों से एकदम अलग है. वो ऐसे खेल में हैं जिसे मर्दों का खेल कहा माना है. एक लड़की होकर इस खेल में अपनी पहचाना बनाना कोई आसान काम नहीं है. उन्हें बाइक चलाना बेहद पसंद है. हर दर्द को सहकर उन्होंने अपने शरीर को फौलाद बनाया. लड़के भी उनसे खौफ खाते हैं. जब वो चलती हैं किसी की हिम्मत नहीं कि उन्होंने कोई कमेंट्स कर सके. याशमीन चौहान भारतीय महिला बॉडी बिल्डिंग का जाना पहचाना नाम हैं. याशमीन ने बॉडी बिल्डिंग जैसे खेल में देश को नई पहचान दिलाई है.

आसान नहीं था बॉडी बिल्डर बनना
हर कामयाबी के पीछे कड़ी मेहनत के साथ-साथ कई कुर्बानियां भी होती है. याशमीन के लिए बॉडी बिल्डर बनने का सफर आसान नहीं था. बचपन में ही उनके माता-पिता अलग हो गए थे. जिसके बाद उनके दादा दादी ने उन्हें पाल-पोश कर बड़ा किया. माता-पिता के ना होने से उनका बचपन मुश्किलों से भरा रहा. वो खालीपन आज भी उनके जीवन में है. वो एक संयुक्त परिवार में रहती थी उनके छोटे भाई-बहन अपने माता-पिता से जिद करके अपनी पसंद की चीजे लेते थे. वहीं याशमीन को अपने माता-पिता के ना होने का असहसा सबसे ज्यादा होता. वो पल उन्हें अंदर तक तोड़कर रख देता था. मुश्किल और खालीपन के साथ उन्होंने अपने जीवन को जिया और आगे बढ़ाया. अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए छोटी उम्र में ही उन्होंने नौकरी करनी शुरू कर दी थी और धीरे-धीरे आत्म निर्भर बनती चली गई.

बॉडी बिल्डिंग में जीते कई अंतरराष्ट्रीय खिताब
याशमीन को बचपन से ही एक्स रसाइज करने का शोक था और देखते ही देखते वो बॉ़डी बिल्डर बन गईं. शुरुआत में आस पड़ोस और नाते-रिश्तेदारों ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की. लड़कियों को मर्दाना खेल नहीं खेलने चाहिए जैसे ताने मारे गए. कई तरह की रूकावटें डालने की भी कोशिश की गई. लेकिन मजबूत इरादों वाली याशमीन ने तो बॉडी बिल्डर बनने का ठान ली थी. उन्होंने साल 2016 में मिस एशिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके अलावा साल 2016 में ही मिस इंडिया फीजीक्स एंड फिटनेस टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. 2016 में ही पॉवर लिफ्टिंग कम्पीटीशन मुकाबले के डबल्स में गोल्ड मेडल जीता. साल 2015 में शो बॉडी एक्सपो में वो दूसरे नंबर पर रहीं.

सरकार बॉडी बिल्डिंग जैसे खेलों पर ध्यान नहीं दे रही
बॉडी बिल्डिंग के साथ साथ याशमीन पर्सनल ट्रेनर और अपना खुद का जिम चला रही हैं. उनके इस काम में उनके पति अमन शर्मा उनका हाथ बटा रहे हैं. याशमीन ने आजतक डॉट इन से बतचीत में बताया कि सरकार की तरफ से बॉडी बिल्डिंग जैसे खेल को कोई मदद नहीं मिलती है. अगर सरकार इस खेल पर थोड़ा ध्यान देती है तो कई महिला खिलाड़ी उभरकर सामने आ सकती हैं. कहते हैं वक्त बड़े से बड़े घावों को भर देता है. तमाम मुश्किलों से पार पाकर आज याशमीन एक कामयाब जिंदगी जी रही हैं. लेकिन एक खालीपन के अहसास के साथा.

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