इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है वो चाहे हिन्दू धर्म हो या इस्लाम या सिख या इसाई। इंसान ईश्वर की सबसे सुंदर रचना मानी जाती है। यह तो हुई ज्ञान की बात अब वास्तविकता पर आते हैं। गौवध एक पाप है,हमारे धर्म ग्रंथों में गाय को माँ का दर्ज़ा प्राप्त है। भारत के कई राज्यों में भी गौकशी पर पूर्णतया रोक है।जो की बहुत जरूरी है।गाय हमारी भावनाओं से जुड़ी है हमारे धर्म से जुड़ी है।अगर हमारी भावनाएं आहत होती हैं तो हम दुखी और उग्र हो जाते हैं।और हाल ही के दिनों में ये बात देखने को मिली भी है अख़लाक़ और पहलू खान के रूप में, जो गौ रक्षकों के दल के क्रोध का शिकार हुए।जब बात तीन तलाक पर आती है तो पंडित जी कहते हैं की मुसलमानों को देश के संविधान का आदर करना चाहिए।लेकिन जब बात गौ तस्करी की आती है तो गौ रक्षक वहशी बन कर टूट पड़ते हैं।तब उनको संविधान का बिलकुल भी इल्म नहीं रहता। मैं गौकशी का बिलकुल भी पक्षधर नहीं हूँ,और न ही कभी चाहूँगा की हमारी गौ माता को या कोई भी ऐसा पशु जो हमारी भावनाओं से जुड़ा हो मारा जाये।लेकिन मैं इन गौ रक्षक का चोला पहने हुए गुंडों का धुरविरोधी हूँ।पहलु खान की मौत का जिम्मेदार कौन है? हमारी उग्र भावनाएं या पहलु खान का धर्म। अभी हाल ही में बहराइच जिले में, जे.एन. मिश्रा (ACMO) के फार्म हाउस से 35 मृत गायों की कब्र बरामद हुई,और कुछ जिन्दा गायें भी पायी गयीं जिनकी हालत बहुत बदत्तर थी। लेकिन मिश्रा जी पर क्यूँ गौरक्षा दल चुप्पी मार गया,क्यूँ उनका घर नहीं फूंका गया।और कुछ साल पहले गोंडा जिले में गौतश्कर माजिद की गिरफ्तारी के बाद उसको छुड़ाने के प्रयास में कई धर्म के ठेकेदार लगे थे।राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त के.सी.पाण्डेय का नाम भी माजिद से जुड़ा लेकिन उनपर सवाल उठाने वाले उस समय के गोंडा जिले के पुलिस अधीक्षक नवनीत राणा का तबादला हो गया।क्यूँ गौरक्षक के.सी.पाण्डेय पर चुप थे। गौरक्षक हिन्दू धर्म की भावनाओं के आंङ में अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं।उनके डर से कोई आवार पशुओं से होने वाली परेशानियों पर आवाज़ उठाने से डरता है। हमारे माननीय मुख्मंत्री जी को उत्तर प्रदेश में पंचायत स्त्तर पर गौशाला का निर्माण करना चाहिये। जिससे की आवारा पशुओं की समस्या से निजात पाया जाये।सड़क पर आये दिन ये पशु चलते वाहनों से टकरा जाते हैं जिससे जान माल का नुक्सान पहुँचता है। और किसान तो इस समस्या से बहुत पीड़ित है,खेतों में खड़ी फसल कभी मौसम तो कभी इन पशुओं के भेंट चढ़ जा रही है।जिससे खाद्यान संकट की भी नौबत आ सकती है।आवारा पशुओं के संदर्भ में कोई भी बात करने को नहीं तैयार है,क्यूंकि कोई भी आपको देशद्रोही बता सकता है या गौरक्षक आपको कूंट भी सकते हैं।लेकिन मैंने हिम्मत की है,कारण गाँव क्षेत्र से जुड़ा हूँ और अगर खेतों में पैदा नहीं होगा तो खाऊंगा क्या।अब तो हाल यह की गाय पालना भी एक ही धर्म के लिए महफूज है और कहीं आप एक चिन्हित धर्म के हुए तो गौरक्षक का चोला ओढ़े वहशी गुंडे किसी भी बहाने से आपको कूंट पीट सकते हैं।भले बाद में राज्य सरकार आपके परिवार को सरकारी नौकरी और लखनऊ में फ्लैट की सुविधा उपलब्ध करा दे। हमारी सरकार कब उस भीड़ को समझा पायेगी या रोक पायेगी जो अनियंत्रित हो कर खून कर बैठती है।भारत के प्रधानमंत्री भी इस समस्या पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।लेकिन यह भीड़ की गुंडई थमने का नाम नहीं ले रही।मेरा मानना यह की गौ माता को हम गौसेवक बन कर बचा पाएंगे या गौ रक्षक।
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