जयनारायण प्रसाद
बांग्ला संगीत जगत की बेहद लोकप्रिय गायिकाओं में से एक श्रीराधा बंद्योपाध्याय ने कई भारतीय भाषाओं में गाने गाए हैं। बांग्ला तो है ही, ओड़िया में भी उनके गीत हैं। लेकिन एक ही हिंदी फिल्म के गाने से उनकी इस कदर राष्ट्रीय पहचान बनी कि सुनने वाले अक्सर उसे गुनगुनाते हैं। ढेर सारे बांग्ला म्यूजिक एल्बम की मल्लिका श्रीराधा बंद्योपाध्याय ने हिंदी के जाने-माने फिल्मकार दिवंगत बासु भट््टाचार्य की वर्ष 1997 में आई हिंदी फिल्म ‘आस्था’ में गाने गाए। गुलजार के लिखे गीत और सारंग देव के संगीत से सजे इस फिल्म के गीत सचमुच अमर हो गए हैं। ‘लबों से चूम लो, हाथों से थाम लो मुझको, तुम्हीं से जन्मूं तो जाके मुझे पनाह मिले’ और ‘.तन पे लगती कांच की बूंदें, मन मेंं लगे तो जाने….’ जब भी सुनाई पड़ता है, तो सुनने वाले दिल थाम के सुनते हैं।
‘आस्था’ वर्ष 1997 में आई थी। रेखा, ओमपुरी, नवीन निश्चल, दिनेश ठाकुर और डेजी ईरानी इसके मुख्य किरदार थे। इस फिल्म को कई पुरस्कारों के लिए नामांकित भी किया गया। एक पुरस्कार श्रीराधा जी को भी मिला। वे कहती हैं-हिंदी मेरी जुबान नहीं है। यह तो बासु दा और गुलजार साहेब की देन है, जिन्होंने मुझे इस फिल्म में गवाया। मैं बासु भट््टाचार्य की सचमुच शुक्रगुजार हूं। दरअसल, वे मेरे पति के परिचित थे। एक दफा मौका मिला तो बोले अगली हिंदी फिल्म बनाऊंगा, तो गाना जरूर गवाऊंगा। वे बताती हैं-अब जाकर लगता है कि संगीत का संबंध कहीं न कहीं आत्मा से जरूर है। जो गीत लोगों के दिलों में सीधे उतरता है, वह सफल अवश्य होता है। ‘आस्था’ फिल्म के गीत ऐसे ही हैं।
वे बताती हैं-बांग्ला और ओड़िया में मेरे गीत लोकप्रिय हैं। जब तक आप दिल से नहीं गाते, तब तक कामयाबी नहीं मिलती। वे कहती हैं-तमन्ना है कि लता व आशा जी के साथ गाऊं। वे कहती हैं-मुझे याद है ‘आस्था’ के गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त इस फिल्म की नायिका रेखा जी से मुलाकात हुई थी। नवीन निश्चल और दिनेश ठाकुर भी थे। रेखा जी ने कहा था-मेरी आवाज थोड़ी पतली है, संभल कर गाइएगा। लगभग सप्ताह भर की रिकॉर्डिंग के दौरान मैंने ऐसा ही किया।