अपनी अदाकारी और दमदार परफॉर्मेंस से बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक खास जगह बना लेने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज एक जाना पहचाना नाम हैं। लेकिन एक समय था जब मुंबई से वापस लौट रहे स्ट्रगलिंग एक्टर्स के साथ बैठे नवाज को अनुराग कश्यप पहचानते भी नहीं थे। अनुराग कश्यप के साथ गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी चर्चित फिल्म देने वाले ये एक्टर-डायरेक्टर की जोड़ी आपस में अनजान थी। यह किस्सा साल 1998 का है।
सत्या की कामयाबी के बाद अनुराग कश्यप को स्क्रिप्ट राइटिंग में थोड़ी पहचान मिलने लगी थी। वह मुंबई के अंधेरी स्टेशन पर राजपाल यादव से मिलने पहुंचे थे। वह उन्हें समझआ रहे थे कि वह वापस ना जाएं। क्योंकि राजपाल यादव लंबे स्ट्रगल से परेशान होने के बाद वापस लौटने का मन बना चुके थे। वहीं दूसरे कुछ लोगों के साथ मौजूद थे। लेकिन तब तक अनुराग और नवाज का आपस में परिचय नहीं था।
असल जिंदगी में साधारण से दिखने वाले नवाज जब कैमरे के सामने आते हैं। तो वह एक छाप छोड़ते हैं। उनका किरदार जहन में रह जाता है। उत्तर प्रदेश के बुधाना के रहने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक सधे हुए कलाकर हैं। अपने स्ट्रगल के दिनों में वह एक मिनट के रोल के लिए भी तैयार रहते थे। उम्मीद ये रहती कि ये एक मिनट का रोल कभी दो मिनट का होगा। नवाज अपने करियर में विद्या बालन के साथ आई फिल्म कहानी को टर्निंग प्वाइंट मानते हैं। इस फिल्म में वह आईबी के अफसर के रोल में नजर आए थे।
सरफरोश और ब्लैक फ्राइडे जैसी फिल्मों में हमेशा पूछताछ का सामना कर रहे नवाज इस बार खुद पूछताछ कर रहे थे। एक अधिकारी के तौर पर उनका रौब इंप्रेसिव था। अनुराग कश्यप के साथ उनकी गैंग्स ऑफ वासेपुर ने उनके करियर को एक उड़ान दी। क्रिटिक्स ने भी नवाज की परफॉर्मेंस को सराहा था। अपनी लगन और मेहनत से आज नवाज इंडस्ट्री में एक मुकाम हासिल कर चुके हैं।