क्रिकेट में रन बनाना किसका सपना नहीं होता। कोई खिलाड़ी शून्य पर आउट हो जाए, तो यकीनन उसे दुख होता है। अपनी टीम के लिए कुछ न कर पाने का मलाल किसी भी खिलाड़ी के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है। लेकिन क्रिकेट इतिहास में एक खिलाड़ी एेसा भी है, जो लगातार 7 बार शून्य पर आउट हुआ था। इनमें से 4 बार वह पहली ही गेंद पर पवेलियन लौट गया था। वह थे पूर्व भारतीय गेंदबाज अजीत अगरकर। 1999-2000 के अॉस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेट ओवल में उन्होंने पहली पारी में 19 रन बनाए थे, लेकिन दूसरी पारी में शून्य पर आउट हो गए। इसके बाद मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंट की दोनों पारियों में बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। इसके बाद सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) में की पहली पारी में भी शून्य पर आउट हो गए। एससीजी में वह पहली गेंद जैसे तैसे खेल गए, लेकिन दूसरी गेंद पर फिर डक पर आउट हो गए। हालांकि अगले टेस्ट मैच में उन्होंने एक रन बना लिया और इसके बाद उन्होंने बल्ला उठाकर इसकी खुशी भी जताई थी। लेकिन अॉस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स फिर भी उनका मजाक उड़ाते रहे थे। साल 2000-01 में जब अॉस्ट्रेलिया से वानखेड़े स्टेडियम में मुकाबला हुआ तो अगर फिर दोनों पारियों में गोल्डन डक पर आउट हो गए थे।
4 दिसंबर 1977 को जन्मे अगरकर के नाम कई रिकॉर्ड्स भी हैं। उन्होंने 1 अप्रैल 1998 में अॉस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था। भारत की ओर से वह अनिल कुंबले (337) और जवागल श्रीनाथ (315) के बाद तीसरे सबसे ज्यादा विकेट (288) लेने वाले गेंदबाज हैं। उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से तीन बार आईपीएल भी खेला है। वह उन खिलाड़ियों में से हैं, जिन्होंने लॉर्ड्स के मैदान पर टेस्ट शतक लगाया हो। साल 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ इस एेतिहासिक मैदान पर 109 रन बनाए थे। हालांकि भारत यह मैच हार गया था, लेकिन उनकी बल्लेबाजी ने सबका ध्यान खींचा था।
एक रन बनाने के बाद एेसे उठाया था बल्ला:
अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने महान गेंदबाज डेनिस लिली का वनडे में सबसे तेज 50 विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा था। यह कारनामा उन्होंने 23 मैचों में किया था। 1998-2009 तक यह रिकॉर्ड बरकरार रहा। इसका बाद यह रिकॉर्ड श्रीलंका के अजंता मेंडिस (19 मैच) ने तोड़ा था। भारत की ओर से सबसे तेज वनडे हाफ सेंचुरी भी अगरकर के बल्ले से निकली है। उन्होंने 21 गेंदों में 50 रन ठोक डाले थे।