चिलम फूंक के धुत्त हो जाएं।
भरी दुपहरिया हम जग जाएं।
फेसबुक पर दंगा करवाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं
अपनी अलग फौज होगी।
जंग नही बस मौज होगी।
चौराहे पर गाल बजाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं।
बप्पा तो पैसा भेज रहे।
आशा जानें क्यों देख रहे।
उनसे बोलो, अब सो जाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं
सारे डूड यहां आओ जी।
समस्या नई बताओ जी।
गांधी लेनिन, सब गारी खाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं
सत्य अहिंसा फ़र्ज़ी है।
मैं ना मानू ,मेरी मर्ज़ी है।
आज़ादी की अलख जगाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं
गरीबी तो जाति देखती है।
भूख आधार देखती है।
सेक्यूलर बन कर हम इठलाएँ।
फिर चल कर नया देश बनाएं
हम सब क्रांतिकारी हैं।
कमरे में संसद जारी है।
देश के टुकड़े फिर करवाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं
पिछड़ों को आगे लाना है।
कट्टा बारूद थमाना है।
फिर जब सारे कट मर जाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं
सिस्टम को ठिकवाने को।
अपना नियम बनाने को ।
गांजा फूंक हम जुट जाएं।
फिर चल कर नया देश बनाएं।
रात अँधेरी अब घनी हुई।
मन मे एक शंका ठनी हुई।
माल फूंकने अब कहाँ जाएं।
अब कैसे नया देश बनाएं।
“पुष्पेंद्र प्रताप सिंह”