देश की सर्वोच्च अदालत अब वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की सुविधा से देश की सारी जेलों से सीधे जुड गई है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से ही वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रंजन गोगोई ने देश की अलग-अलग जेलों के डायरेक्टर जनरल प्रिज़ेंस और जेल अधीक्षकों से बात की.
इस मौक़े पर जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा , ‘नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी का मकसद आर्थिक रूप से कमज़ोर विचाराधीन क़ैदियों को जल्द और अच्छी कानूनी मदद क़ाबिल वकीलों द्वारा पहुंचाना है और इसी कड़ी में इस सुविधा का इन्तज़ाम किया गया है. इसका मक़सद जेल प्रशासन को सेंसिटिव बनाना भी है.’
जस्टिस दीपक मिश्र ने ये भी कहा की न सिर्फ गरीब क़ैदियों को जल्दी क़ानूनी मदद मिले, बल्कि अच्छे और क़ाबिल वकील उनकी पैरवी करें, यह इस पूरी कवायद का मक़सद भी है.
सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की इस सुविधा को नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी यानी (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी ने किया है. जस्टिस दीपक मिश्रा नालसा के चेयरपर्सन हैं जबकि जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन हैं.
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की इस सुविधा से सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश की है जिनके पास ना तो साधन हैं और न ही मौका कि वो कोर्ट में अपना सही पक्ष रख सकें. सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के वकील सीधे किसी भी जेल में बंद विचाराधीन कैदी से सीधे बात कर पाएंगे, ताकि उन्हें जल्द और सही इंसाफ मिल सके. इसके अलावा क्या कुछ समस्या कानूनी मदद देने में आ रही है इसका भी पता लग सके.