कैला भट्टा के एक घर में सोमवार आधी रात को घुसकर अज्ञात युवक ने युवती पर तेजाब डाल दिया, जिससे वह बुरी तरह झुलस गई। वारदात को अंजाम देकर आरोपी फरार हो गया। युवती को एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से घायल युवती को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
कैला भट्टा के मरकज रोड निवासी जलील कुरैशी कैब चालक हैं। वह अपने परिवार के साथ रहते हैं। सोमवार रात को उनकी छोटी बेटी 19 वर्षीया गुलिस्तां आंगन में खाट पर सो रही थी और घर के अंदर माता-पिता व दोनों भाई सो रहे थे। रात दो बजे एक अज्ञात युवक छत पर चढ़ गया और गुलिस्तां के ऊपर तेजाब डाल दिया। गुलिस्तां के चिल्लाने पर घर वाले जाग गए। तेजाब से उसके चेहरे और शरीर पर गहरा जख्म हो गया था। परिजन तुरंत ही उसे एमएमजी अस्पताल ले गए। डॉक्टरों के मुताबिक वह 80 फीसदी तक जल गई है।
एसपी सिटी का कहना है कि युवती के परिजनों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पुलिस का कहना है कि घर के पीछे खाली प्लॉट और टूटी दीवार हैं। दरवाजा बंद था और आरोपी के घुसने का एक ही रास्ता पीछे की तरफ से है। घर के पीछे की दीवार पर एक युवक के पैर के निशान भी हैं। पुलिस आसपास के किसी युवक पर आशंका जता रही है। गुलिस्तां के भाई आरिफ कुरैशी ने बताया कि उसकी शादी तीन महीने बाद होने वाली थी।
पुराना कानून
ऐसिड अटैक के मामले में पहले आईपीसी में अलग से कोई प्रावधान नहीं था और आईपीसी की धारा-326 (गंभीर रूप से जख्मी करना) के तहत ही केस दर्ज किया जाता था। इस कानून में दोषी पाए जाने पर 10 साल तक कैद या फिर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था।
क्या है नया कानून
– जस्टिस जे.एस.वर्मा कमिशन की सिफारिशों के मद्देनजर आईपीसी में किए गए बदलावों के तहत आईपीसी की धारा-326 ए और 326 बी अस्तित्व में आया।
– आईपीसी की धारा-326 ए के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स किसी दूसरे पर एसिड से हमला करता है और इस वजह से उस शख्स के शरीर का अंग खराब होता है या शरीर पर जख्म होता है या जलता है या झुलसता है, तो ऐसे शख्स को दोष साबित होने पर कम-से-कम 10 साल कैद और ज्यादा-से-ज्यादा उम्र कैद की सजा दी जा सकती है।
– एसिड अटैक की कोशिश में भी कम से कम पांच साल सजा का प्रवाधान है।
– अगर कोई शख्स किसी और पर अंग खराब करने या उसे नुकसान पहुंचाने की नियत से एसिड फेंकने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-326 बी के तहत केस दर्ज किया जाएगा और इस मामले में दोषी पाए जाने पर कम-से-कम 5 साल और ज्यादा-से-ज्यादा 7 साल कैद की सजा हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
– एसिड अटैक को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वह एसिड की बिक्री को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाएं।
– अटैक की शिकार महिला को इलाज और पुनर्वास के लिए 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान भी है।
इस साल जनवरी में एसिड अटैक के चार और फरवरी में पांच मामले सामने आए हैं।
एसिड हमलों के आंकड़े (1999-2016)
साल हादसे पीड़ितों की संख्या
1999 165 168
2000 240 240
2001 351 352
2002 494 496
2003 417 420
2004 326 333
2005 222 277
2006 183 224
2007 162 199
2008 142 184
2009 129 159
2010 122 160
2011 91 118
2012 71 98
2013 70 86
2014 59 74
2015 59 74
2016 44 50
कुल 3347 3712