Monday, March 25, 2024
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कश्मीर में सेना के कमांडर ने कहा- बहुत नाजुक हालात हैं , बेहद चिंता की बात है आतंकियों को जनता का समर्थन

SI News Today

कश्मीर में लंबे समय से जारी हिंसा और विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य के हालात को लेकर सैन्य अधिकारियों ने चिंजा जताई। कश्मीर में सेना के शीर्ष कमांडर का कहना है कि सेना को “गोलियों के माध्यम से युद्ध” जीतने से ज्यादा “दिमाग से लड़ाई” जीतनी है। संडे एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में श्रीनगर स्थित 15 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जे एस संधू ने कहा कि स्थिति “नाजुक” है। जनता आतंकियों का समर्थन कर रही है, उनका महिमामंडन कर रही है और कट्टरता बढ़ रहा है, यह मुद्दे बेहद चिंता की बात है। उन्होंने आगे कहा कि गोली से जंग जीतने से ज्यादा जरुरी दिमांग से जंग जीतना है और हम उन युवकों को सही रास्ते पर लाने की कोशिश कर रहे हैं जो हिंसा के रास्ते पर है। सेना पर स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि हिंसक प्रदर्शन और पत्थरबाजी की घटनाए होंगी, लेकिन संभव है कि व्यापक और तीव्र नहीं होंगी।

लेफ्टिनेंट जनरल संधू ने माना है कि पिछले साल 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से आतंकवाद में स्थानीय लोगों की भर्ती बढ़ी है। उन्होंने कहा, “हमें युवाओं को तंजीमों (आतंकी संगठनों) से जुड़ने से रोकना होगा। हम उन्हें बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए कौशल-विकास, नौकरी के अवसरों का सृजन, अभिभावकों और बुजुर्गों के साथ बातचीत जैसे कई कदम उठाए जाने की जरूरत है।” सूत्रों के मुताबिक पिछले साल 100 से ज्यादा लोगों ने आतंकवाद का रास्ता अपनाया है। साल 2017 में 13 स्थानीय लोग आतंकवाद से जुड़े हैं। घाटी में आतंकी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में सैन्य कार्रवाई में 38 आतंकवादी मारे गए, उनमें से 8 नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर ढेर किए गए।

हाल ही में सोशल मीडिया पर शेयर हुए घाटी के वीडियो को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल संधू ने कहा, ” नकली वीडियो, पुराने वीडियो, रीपीट स्क्रीनिंग वाले वीडियो बड़े पैमाने पर अशांति की धारणा को जन्म देते हैं। बार-बार दिखाए जाने वाली इस तरह की घटनाएं गलत धारणाओं को जन्म देती है। हालांकि, उनका मानना है कि सोशल मीडिया इस तरह के वीडियो की पहुंच को व्यापक बनाता है। साथ ही सेना को इनसे मुकाबला करने में सक्षम बनाता है।

गौरतलब है कि पिछले साल हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को सुरक्षाबलों ने एनकाउटंर में मार गिराया था। जिसके बाद से घाटी में कई महीनों तक लगातार हिंसक प्रदर्शन और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया था। सुरक्षाबलों और सेना को उपद्रवियों से निपटने के बल का प्रयोग करना पड़ था। इसमें बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों के जवान घायल हुए थे। इस हिंसा में कई लोग मारे गए।

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