सरकार देश में घर किराये पर लेने के लिए एक पॉलिसी लाने का विचार कर रही है। इस पॉलिसी के तहत शहरों में आने वाले लोग सरकारी संस्थाओं से घर किराये पर ले सकते हैं। इस पॉलिसी में यह सुविधा भी मिल सकती है कि अगर किरायेदार चाहे तो किराये के घर को आसान किस्तों में खरीद भी सकता है। आवास मंत्रालय के मुताबिक इस स्कीम को सरकार की राष्ट्रीय शहरी किराया आवास नीति (नेशनल अर्बन रेंटल हाउसिंग पॉलिसी) के तहत लॉन्च किया जाएगा। इसका स्कीम का नाम ‘रेंट टु ओन’ होगा। शहरी विकास एंव आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने बताया कि इस ऐक्ट को मंजूरी के लिए जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।
इसके अलावा केंद्र सरकार प्राइवेट बिल्डरों द्वारा बनाए जा रहे सस्ते घरों पर भी सब्सिडी देने का विचार कर रही है। निजी जमीन पर बने घरों को खरीदने के लिए सरकार गरीब लोगों को 1.5 लाख रुपये की सब्सिडी देने की योजना बना रही है। अभी यह छूट सिर्फ राज्य सरकारों की जमीनों पर बने आवासों पर दी जाती है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे सभी को घर देने की सरकार की योजना बल मिलेगा। खासकर शहरी क्षेत्रों में जहां बढ़ती आबादी के साथ घरों की जरूरत भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अब तक हम 2008 शहरों और कस्बों में 17.73 लाख शहरी गरीबों के लिए आवासों को मंजूरी दे चुके हैं।
इस तरह काम कर सकती है ‘रेंट टु ओन’ स्कीम: इस स्कीम तहत पहले कुछ सालों के लिए सरकार घर को लीज पर देगी। घर की कीमत के मुताबिक हर महीने की किस्त तय कर दी जाएगी। हर महीने घर की ईएमआई के बराबर पैसा बैंक में जमा करना होगा। इसमें से कुछ पैसा किराये के रूप में जमा होगा और कुछ सरकार के पास अलग खाते में जमा होगा। जब यह जमा की गई कुल राशि (किराया और सरकार के पास जमा राशि) घर की कीमत की 10 फीसदी हो जाएगी तो घर की रजिस्ट्री किरायेदार के नाम कर दी जाएगी। यदि लीज पर लेने वाला व्यक्ति रकम जमा नहीं कर पाता है तो सरकार इस मकान को दोबारा बेच देगी। किराये के साथ अलग खाते में जमा की जाने वाली राशि किरायेदार को बिना ब्याज के वापस लौटा दी जाएगी।