अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक आयोग में रिक्तियों को भरे जाने में देरी के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने बुधवार को बताया कि अतीत में भी इन आयोगों में रिक्तियों को भरे जाने में देरी होती रही है और वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए एक विधेयक संसद में जल्द ही लायेगी.
जानबूझकर सरकार कर रही है देरी
लोकसभा में कांग्रेस के के. सुरेश ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सरकार जानबूझ कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक आयोग में रिक्तियों को भरे जाने में देरी कर रही है. आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त हैं और सरकार इस दिशा में पहल नहीं कर रही है.
सरकार की नीयत साफ
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि इस बारे में सरकार की नीति और नीयत साफ है. हम सभी का सम्मान करते हैं और उनके सुदृढ़ीकरण पर ध्यान देते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अन्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने का फैसला किया है और इस बारे में विधेयक जल्द ही संसद में ला रहे हैं.
गहलोत ने कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू के कारण कुछ सदस्यों की नियुक्ति नहीं की जा सकी. अब सरकार ने रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इन्हें जल्द ही भर दिया जायेगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग समेत अन्य आयोगों में रिक्तियों को भरने में 3 से 10 महीने तक देरी का पूर्व में चलन देखा गया है और ऐसा पूर्व की सरकार के दौरान देखा गया है.