सूरज दादा रहम करो
सूरज दादा, सूरज दादा
रहम करो, रहम करो
अभी तो शुरुआत है
इतनी आग न उगलो
स्कूल से छुट्टी हुई
बड़ी मुश्किलों से
खेल नहीं सकते हम
घर-आंगन-परिसर में
सर्दी में तो तुम सबको
प्यारे राज दुलारे लगते
सबको खूब तुम सुहाते
ठंडी मारे गले लगाते
गर्मी आते ही टीचर जैसे
कठोर क्यों हो जाते
लू-लपट साथ ले आते
गरम हवाओं से धमकाते
क्यों इतने गुस्से में हो
आखिर सूरज दादा
हम पर आग बरसाते
कारण जरा बतलाओ
विनती है हम बच्चों की
चंदा मामा से जा कर
थोड़ी सी उधार तुम
शीतलता ले आओ।
मूलमंत्र गर्मी का
गर्मी में बस
एक काम करो
सेहत का बस
ध्यान रखो
खाओ थोड़ा-थोड़ा पियो पानी
ज्यादा-ज्यादा
चाट-पकौड़ी को
अब करो टाटा-टाटा
छाछ-दही, नींबू-शिकंजी
से जोड़ लो नाता
सुबह-शाम
प्रकृति की गोद में
घूमो-टहलो
एक खेल पसंद का
जरूर खेलो
समय से उठना
समय से सोना
सेहत का है
मूलमंत्र सच्चा
करो न देर
अब पढ़ कर कविता,
अमल करो आज से
राजा भैया
प्यारी बहना।