Thursday, July 25, 2024
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चीफ जस्टिस जेएस खेहर बोले- 2017 को बनाएं अपराध पीड़ितों को राहत देने वाला साल

SI News Today

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने शनिवार विधि कार्यकर्ताओं का आह्वाहन किया कि वे 2017 को अपराध पीड़ितों के लिए काम करें। उन्होंने दुष्कर्म पीड़ितों या तेजाबी हमले के शिकार अथवा अपने घर के एकमात्र रोजी रोटी कमाने वाले को गंवाने वालों की परिस्थितियों पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि अपराधियों की तो आखिरी उपाय तक न्याय के लिये पहुंच होती है। चीफ जस्टिस ने विधि कार्यकर्ताओं से ऐसे प्रभावित लोगों तक पहुंचने की अपील की ताकि उन्हें अपेक्षित मुआवजा मिल सके। उन्होंने कहा कि भारत में आतंकवाद के अपराध में अभियुक्त को सुप्रीम कोर्ट तक सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने के बाद भी न्याय के लिये कानून के तहत प्रदत्त सभी संभव कानूनी उपायों के इस्तेमाल की अनुमति है।

जस्टिस खेहर परोक्ष रूप से 1993 के मुंबई विस्फोट के एकमात्र मृत्युदंड प्राप्त दोषी याकूब मेमन के मामले का हवाला दे रहे थे जिसकी फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई 2015 को ठुकरा दी थी लेकिन कुछ एक्टिविस्ट वकील ने उसी रात फैसले पर फिर से गौर करने के लिए एक और याचिका दायर की क्योंकि दोषी को 30 जुलाई की सुबह फांसी दी जानी थी।

सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिये सहमत भी हुआ और 30 जुलाई को रात दो बजे से दो घंटे से ज्यादा समय तक एक पीठ ने विशेष सुनवाई की। राज्य विधि सेवा प्राधिकारण के 15वें अखिल भारतीय सम्मेलन के अपने उद्घाटन संबोधन में जस्टिस खेहर ने कहा, ‘हमारा अनूठा देश है। बड़ा अपराधी, बड़ा हंगामा। जैसा कि हमने पहले देखा है कि आतंकवाद जैसे अपराध में दोषी सुप्रीम कोर्ट में नाकाम हुआ और पुनर्विचार में भी असफल रहने के बावजूद एक तरीके से न्याय तक पहुंच हो सकती है जिसका हम विस्तार करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मुझे वर्षों तक आश्चर्य होता रहा कि पीड़ितों का क्या होता है। वर्षों तक हैरान रहा कि उन परिवारों का क्या जिन्होंने अपने एकमात्र रोजी रोटी कमाने वाले को खो दिया। मुझे वर्षों तक तेजाब कि हमले के पीड़ितों के बारे में हैरानी हुई जिनका चेहरा बिगड़ गया और समाज में जी नहीं सकते। मैंने दुष्कर्म पीड़िताओं के बारे में उनकी जिंदगी के बारे में सोचा और मुझे हैरानी कि हमारी उनतक क्यों पहुंच नहीं है।’

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