Saturday, July 27, 2024
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जानिए क्या है करवाचौथ के व्रत को सफल बनाने की विधि…

SI News Today

करवा चौथ का व्रत केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही करने का अधिकार है, इसलिए जिनके पति जीवित होते हैं, केवल वे स्त्रियां ही ये व्रत करती हैं। हिंदू धर्म में करवा चौथ नारी के जीवन का सबसे अहम दिन होता है जिसे भारतीय सुहागिन स्त्रियां एक पर्व के रूप में मनाती हैं व पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर व चंद्रमा की पूजा-अर्चना करती हैं, तथा भगवान चंद्रमा से अपने पति की लम्‍बी आयु का वरदान मांगती हैं। स्त्रियों के लिए यह व्रत सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर रात्रि में चंद्रमा-दर्शन के साथ संपूर्ण होता है।

भारतीय स्त्रियों के लिए करवा चौथ का ये व्रत उनके पति के प्रति आस्था, प्यार, सम्मान व समर्पण को प्रदर्शित करता है। करवा चौथ के दिन महिलाऐं अपने पति की लम्‍बी उम्र की कामना के साथ दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं, करवा चौथ से सम्‍बंधित कथा-कहानियाँ सुनती-सुनाती हैं तथा रात्रि में चंद्र उदय होने पर उसकी पूजा-अर्चना कर पति के हाथों से पानी का घूंट पीकर अपना उपवास पूर्ण करती हैं।

करवाचौथ व्रत विधि
– सूरज के उदय होने से पहले नहाकर व्रत का संकल्प लें और घर के बड़ों द्वारा दी गई सरगी खाएं। सरगी में मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। सरगी में प्याज और लहसुन से भोजन बिल्कुल भी ना खाएं।
– सरगी के बाद करवाचौथ का निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है। माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी का ध्यान करते रहना चाहिए।
– दिवार पर गेरु से फलक बनाकर पीसे चावलों के घोल से करवा बनाएं। इस कला को करवा धरना कहा जाता है जो एक पौराणिक परंपरा है।
– आठ पूड़ियों की अठावरी, हलवा और पक्का खाना बनाना चाहिए।
– पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्वरुप बनाएं। मां गौरी की गोद में भगवान गणेश का स्वरुप बैठाएं। इन स्वरुपों की पूजा शाम के समय की जाती है।
– माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर बैठाएं और लाल रंग की चुन्नी पहनाएं और श्रृंगार सामाग्री से श्रृंगार करें। इसके बाद उनकी मूर्ति के सामने जल से भरा हुआ कलश रख दें।
– गौरी और गणेश के स्वरुपों की पूजा करें। इसके साथ- नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तनां नारीणां हरवल्लभे।। अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं।
– इसके बाद करवाचौथ की कहानी सुननी चाहिए। कथा सुनने के बाद घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
– चांद निकलने के बाद छन्नी के सहारे चांद को देखना चाहिए और अर्ध्य देना चाहिए। फिर पति के हाथ से अपना व्रत खोलना चाहिए।

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