तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा को लेकर चीन की बयानबाजी पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। भारत ने साफ कहा है कि ’81 वर्षीय धर्मगुरु पहले भी इस उत्तर-पूर्वी राज्य में आते रहे हैं, इसलिए भारत के विभिन्न राज्यों में उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों को कोई और रंग देने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।’ दलाई लामा को ‘खतरनाक अलगाववादी’ मानने वाले चीन ने शुक्रवार (31 मार्च) को कहा था कि वह यात्रा के विरोध में है। चीन ने भारत से कहा था कि वह ‘कोई ऐसी कार्रवाई न करे जिससे सीमा विवाद और जटिल हो जाए।’ वहीं भारत की ओर से गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने साफ कहा कि दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा धार्मिक है और इसका कोई राजनैतिक मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ”अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और चीन को उनकी (दलाई लामा) के दौरे और आपत्ति नहीं जतानी चाहिए, न ही भारत के आंतरिक मामलों में दखल देनी चाहिए।”
चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। वह अक्सर विदेशी नेताओं के इस क्षेत्र में दौरों की निंदा करता है ताकि भारत के दावे को कमजोर किया जा सके। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘‘दलाई गुट का अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहने का निंदाजनक रिकॉर्ड है। भारत को दलाई गुट के असली व्यवहार को लेकर बहुत स्पष्ट होना चाहिए। अगर भारत दलाई लामा को इस क्षेत्र में यात्रा करने के लिए आमंत्रित करता है तो इसका द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर क्षति पहुंचेगी।’’