दिल्ली मेट्रो के तीसरे चरण का डेडलाइन पूरा होने वाला है। लेकिन इस लाइन में जमीन और भवन अधिग्रहण संबंधी कुछ समस्याओं को लेकर कुछ जगहों पर मेट्रो का काम फंसता नजर आ रहा है। ऐसी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए दिल्ली मेट्रो परंपरागत तरीके से हटकर सोच रही है। दक्षिण पश्चिम दिल्ली के हसनपुर इलाके में मेट्रो का पुल निर्माण का काम दो बिल्डिंग्स की वजह से रुका था। यहां पर इन इमारतों का टॉप फ्लोर मेट्रो पुल के रास्ते में आ रहा था। मेट्रो ने सीधे इन इमारतों के मालिक से बात की और 5 करोड़ 91 लाख रुपये देकर इन बिल्डिंग्स के टॉप फ्लोर को तोड़ने का अधिकार ले लिया। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 714 स्क्वायर मीटर के फ्लॉट में बने इन बिल्डिंग्स से मेट्रो को अपना डेडलाइन पूरा करने में देरी हो रही थी, इसलिए दिल्ली मेट्रो ने इस बिल्डिंग को सरकारी प्रक्रिया से अधिग्रहित करने की बजाय खुद मकान मालिक से बात की और एजमेंट राइट्स के तहत इस बिल्डिंग के दो फ्लोर को तोड़ने का अधिकार ले लिया।
हालांकि एजमेंट राइट के मेट्रो को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलेगा। और मेट्रो का पुल बन जाने पर मकान मालिक फिर से बिल्डिंग के टूटे हुए भाग को बना सकते हैं बशर्ते कि दिल्ली मेट्रो से वह जरुरी परमिशन ले लें। हालांकि दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता अनुज दयाल का कहना है कि हो सकता है मकान मालिकों को भविष्य में इन बिल्डिंग्स को इनकी वर्तमान ऊंचाई तक बनाने का मौका ही नहीं मिले। दिल्ली मेट्रो के मुताबिक मेट्रो के पुल पास निर्माण से जुड़े कानून काफी कठोर होते हैं, इसलिए अगर ये मकान मालिक सभी कानूनी प्रावधान पूरा करेंगे तब ही इन्हें फिर से निर्माण की इजाजत मिलेगी।
मात्र दो फ्लोर को तोड़ने के लिए दिल्ली मेट्रो की ओर से लगभग 6 करोड़ रुपये देना इस बात को दिखाता है कि मेट्रो फेज-3 प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने पर जोर दे रहा है। फेज-3 के तहत बन रहे इस रूट (मजलिस पार्क से शिव विहार) के बाद ही मेट्रो लाइन का एलाइनमेंट आनंद विहार से विनोद नगर तक पूरा हो सकेगा।