पूर्व आईएफएस अधिकारी और एमपी सैयद शहाबुद्दीन का 82 साल की उम्र में आज (4 मार्च) को निधन हो गया। उनके दामाद अफजल अमानुल्लाह ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सैयद शहाबुद्दीन को सांस लेने में तकलीफ होती थी जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन आज सुबह ही उनका निधन हो गया। शहाबुद्दीन का जन्म 1935 में बिहार (अब झारखंड) में हुआ था। उन्होंने राजनयिक, राजदूत और राजनेता के तौर पर कई अहम पदभार संभाले थे। 1958 में वह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुने गए थे। विदेश मंत्रालय में रहने के दौरान वह दक्षिण-पूर्व एशिया, हिंद महासागर और प्रशांत के संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं।
साथ ही शहाबुद्दीन के पाकिस्तान से लेकर सऊदी अरब तक के कई समाचारपत्रों में अलग-अलग विषयों पर कई लेख भी लिखे हैं। इसके बाद उन्होंने 1978 में भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा। बता दें कि शहाबुद्दीन का नाम पहली बार सुर्खियों में शाह बानो केस और बाबरी मस्जिद विध्वंश के आया था। बाबरी विध्वंश के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा शहाबुद्दीन भारत के संघीय ढ़ांचे के पैरोकार के तौर पर भी जाने जाते थे। साथ ही 2004 से 2007 के बीच में वह ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुसावरात के अध्यक्ष भी रहे थे।
वहीं वह लोकसभा और राज्य सभा दोनों दी सदनों के सदस्य रह चुके थे। सैयद शहाबुद्दीन की वेटी परवीन अमानुल्लाह आम आदमी पार्टी की बिहार की नेता हैं। वह बिहार की नीतीश सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। वहीं आज उन्हें दिल्ली के लोधी रोड के कब्रिस्तान में जोहर (दोपहर) की नमाज के बाद लगभग 1.30 बजे तक सुपर्दे खाक कर दिया जाएगा।