राष्ट्रपति चुनावों में आपसी सहमति से उम्मीदवार उतारने के लिए एक साथ आने वाला विपक्ष अब अपनी संख्या बढ़ाने के लिए तटस्थ पार्टियों को पाले में लाने की सोच रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए करीब 20,000 हजार वोट चाहिए। विपक्ष इसी फिराक में है कि वह किस तरह इन वोटों में सेंध लगा सके। अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि इन विपक्षी पार्टियों की नजर मुख्य तौर पर बीजू जनता दल (बीजेडी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस पर है।
गुरुवार को CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी मुखिया नवीन पटनायक से भुवनेश्वर में मुलाकात की थी। नवीन पटनायक ने तो सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवार खड़ा करनी की बात हुई है। इसके बाद बीजेडी विधायक तथागत सत्पथी ने द हिन्दू से कहा, “निजी तौर पर मैं राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी उम्मीदवार को सपोर्ट नहीं करूंगा। हालांकि पार्टी की राय अभी तक मुझे नहीं पता।” बीजेडी की चिंता तब से और बढ़ गई जब हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा ने बड़ी संख्या में सीटों पर कब्जा करते हुए कांग्रेस की हराया था। पिछले महीने नई दिल्ली में राष्ट्रपति चुनावों के सवाल पर नवीन पटनायक ने बताया कि पिछले बार उन्होंने पूर्व लोकसभा स्पीकर पी. संगमा के नाम का प्रस्ताव दिया था। वह तब बीजेडी उम्मीदवार थीं। इस बार के चुनावों के लिए अभी नाम तय नहीं हुआ है।
सीताराम येचुरी जल्द ही YSR कांग्रेस और डीएमके से भी बातचीत करेंगे। सीनियर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सीपीआई मुखिया एस सुदाकर रेड्डी टीआरएस नेता के केशव राव से लगातार संपर्क में हैं। टीएमसी की ओर से कोई बयान नहीं आया लेकिन एक सीनियर पार्टी सांसद ने बताया कि पार्टी का विचार विपक्ष के साथ हाथ मिलाने का है।
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पार्टियों को अपने पाले में करना चाह रहा विपक्ष,राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को हारने की पूरी तैयारी
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