प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्विटर पर भाजपा सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा का एक लेख शेयर किया है। लेख ‘न्यू इंडिया के लिए न्यू इकॉनमी’ पर लिखा गया है। हालांकि शेयर किए गए लेख को कई यूजर्स ने आड़े हाथों लिया है। कई यूजर्स ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा और केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। ट्विटर यूजर कपिल लिखते हैं, ‘तबाह कर दिया भारत अर्थव्यवस्था को।’ रोहित शर्मा लिखते हैं, ‘क्या आप अंतर्राष्ट्रीय ग्रोथ से परिचित नहीं हैं। आपको नहीं पता आजादी के बाद से भारत कैसे ग्रोथ कर रहा है।’ एमएस राणा लिखते हैं, ‘ट्वीट करने में क्यों समय बर्बाद कर रहे हो? भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ को दोहरे अंक तक लेकर आइए।’ दीपक जॉन लिखते हैं, ‘बर्बाद कर दी भारतीय अर्थव्यवस्था।’ वहीं चंद्रशेखर लिखते हैं, ‘अर्थव्यवस्था पर यशवंत सिन्हा ने कुछ लिखा है।
प्लीज उसे पढ़िए।’ गुलाब चंद्र यादव एक तस्वीर शेयर कर गुजराती भाषा में लिखते हैं, ‘भाजपा जाने वाली है। कांग्रेस आने वाली है।’ अखिलेश यादव लिखते हैं, ‘अपना चश्मा बदलें राजनाथ, जिन्हें डूबती हुई अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से अर्थव्यवस्था दिखाई देती है।’
गौरतलब है कि वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा लगातार मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। ‘I Need To Speak Now’ शीर्षक वाले लेख से सियासी गलियारों में हलचल मचाने वाले सिन्हा ने एक बार फिर से मोदी सरकार पर हमला बोला है। सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ”हम बहुत दिनों से जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आर रही है। इसके लिए हम पहले की सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। क्योंकि हमें पूरा मौका मिला है।” उन्होंने कहा कि 2014 में जब मैं आर्थिक मामलों में आया, तब मैं सिर्फ पार्टी का प्रवक्ता था। तब हम यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते थे।
सिन्हा ने कहा, ”सरकार जीएसटी लेकर आई, मैं जीएसटी के समर्थन में हूं, लेकिन उन्हें काफी जल्दी थी। आनन-फानन में सरकार ने जुलाई में लागू कर दिया। अब जीएसटी रीढ़ की हड्डी बनने में असफल है।” बता दें कि इससे पहले संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी देखी है और उनके वित्तमंत्री भी सभी भारतीयों को गरीबी करीब से दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। जेटली अपने पूर्व के वित्त मंत्रियों के मुकाबले बहुत भाग्यशाली रहे हैं। उन्हें वित्त मंत्रालय की बागडोर उस समय मिली थी, जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल कीमत में कमी के कारण उनके पास लाखों-करोड़ों रुपये की धनराशि थी। लेकिन उन्होंने तेल से मिले लाभ को गंवा दिया।