पॉर्नोग्राफी के खिलाफ जंग में 12वीं कक्षा के एक छात्र आकाश नरवाल हाल ही में सुर्खियों में आ गया है। राजस्थान के आकाश ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल आकाश ने कोर्ट में 2013 में एक वकील द्वारा पॉर्नोग्राफी के खिलाफ डाली गई अपील में पार्टी बनने के लिए कोर्ट का दर्वाजा खटखटाया है। बता दें 2015 में केंद्र सरकार ने कई पोर्न साइट्स पर बैन लगा दिया था और कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील की गई थी। हालांकि आलोचना होने के बाद बैन को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया था। कुछ ही साइट्स पर रोक लगाई गई थी। इस मामले को लेकर कोर्ट समय-समय पर फैसले देता रहा है। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक आकाश ने कोर्ट में जाने का फैसला अपने दोस्तों की पॉर्नोग्राफी की लत से परेशान होकर लिया है। उसके मुताबिक स्कूली बच्चे पॉर्नोग्राफी की लत का शिकार होकर मानसिक दिवालिएपन की कगार पर पहुंच रहे हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार भी अपने इस फैसले को लेकर कई बार पक्ष बदलती रही है। अगस्त 2015 में केंद्र सरकार ने पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने में अपनी लाचारी जताई थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वह हर तरह के पोर्न पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ है, क्योंकि ऐसा कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार ने सिर्फ चाइल्ड पॉर्नोग्राफी पर बैन लगाने का फैसला लिया था।
बता दें केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद असमंजस के चलते दूरसंचार विभाग ने अस्पष्ट आदेशों के चलते 857 व्यस्क पोर्न साइटों पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार ने कोर्ट में इस बात को माना था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को छोड़ कर देश में बाकी पोर्न पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। अटार्नी जनरल ने कहा था कि दुनिया के अधिकतर देशों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी प्रतिबंधित है, इसलिए हमने भी इस पर पाबंदी लगाई है।