उत्तराखंड और यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सराहा है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की शानदार जीत पर नीतीश कुमार ने बीजेपी को बधाई दी है. उन्होंने बीजेपी की जीत पर बधाई देते हुए ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला एक सकारात्मक पहल था.
नोटबंदी का विरोध गलत था
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि नोटबंदी का इतना कड़ा विरोध करने की जरूरत नहीं थी. नोटबंदी के फैसले से देश की गरीब जनता खुश थी, लेकिन कुछ दल ऐसे भी थे जिन्हें नोटबंदी पसंद नहीं आया. चूंकि इससे गरीब वर्ग के लोगों के मन में संतोष का भाव उत्पन्न हुआ था और उन्हें लगता था कि इससे अमीर लोगों को चोट पहुंची है. लेकिन कई पार्टियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया.
‘सपा-कांग्रेस की करारी हार की वजह’
नीतीश ने यूपी में सपा-कांग्रेस की करारी हार की वजह भी बताई है. नीतीश ने कहा कि जहां तक यूपी में हार की बात है तो पिछड़े वर्गों के बड़े तबके ने बीजेपी को समर्थन किया है. साथ ही गैर बीजेपी पार्टियों ने इन्हें जोड़ने का कोई प्रयास नहीं किया. उन्होंने कहा कि यूपी में बिहार की तर्ज पर महागठबंधन भी नहीं हो पाया.
उत्तराखंड में बीजेपी को प्रचंड बहुमत
वर्ष 1991 में ‘राममंदिर लहर’ के दौरान हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 221 सीटें जीती थीं. प्रदेश के इतिहास में वर्ष 1951 को छोड़कर जब कुछ सीटों पर दोहरी सदस्यता की व्यवस्था थी, अब तक केवल वर्ष 1977 में जनता पार्टी को प्रदेश विधानसभा की 425 में से 352 सीटें मिली थीं. उसके बाद 1980 में कांग्रेस को 309 सीटें हासिल हुई थीं. कुल मिलाकर यह तीसरा मौका है जब किसी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक यानी तीन चौथाई सीटें मिली हैं.
नतीजों पर नोटबंदी का असर नहीं
नोटबंदी के बाद हुए इस चुनाव में इस मुद्दे का कोई असर नहीं दिखा और जनता ने बेहद पोशीदा तरीके से भाजपा के पक्ष में वोट करके सूबे में उसे 312 सीटों के साथ अब तक की सबसे बड़ी जीत दिला दी. हालांकि बसपा ने भाजपा की इस अभूतपूर्व जीत को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी का परिणाम बताते हुए चुनाव आयोग से दोबारा चुनाव कराने की मांग की जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया. वहीं, सपा अध्यक्ष कार्यवाहक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मायावती की शिकायत पर सरकार से जांच कराने को कहा.