एंटी रोमियो अभियान को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सही ठहराया है। अदालत ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह एक ‘सिग्नल प्रोजेक्ट’ है। यह प्रदेश के नागरिकों के लिए संकेत है कि अब समय आ चुका है कि वे भी अब नैतिक अनुशासन के लिए अपने बच्चों को शिक्षित करें। अदालत ने ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ के खिलाफ दायर याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।
याचिका में कहा गया था कि यह स्क्वाएड नागरिकों की निजता का हनन कर रही है। युवक-युवतियोंके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रही है, ‘मॉरल पुलिसिंग’ भी की जा रही है लेकिन अदालत ने इन तर्कों को नहीं माना। हाईकोर्ट ने पुलिस के लिए कहा कि वह इस स्क्वाएड के लिए बनी गाइडलाइंस का पूरा पालन करे।
अपने-अपने तर्क
याची : निजता के अधिकार पर अतिक्रमण
गौरव गुप्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार को ऐसी अति नहीं करनी चाहिए, जिसकी वजह से वयस्कों और युगलों के निजता के अधिकार पर अतिक्रमण हो। उन्हें पुलिस द्वारा संदेह की नजरों से देखा जाए जैसे वे कोई गैर-कानूनी काम कर रहे हों। इसकी वजह से समाज की शांति बिगड़ सकती है। वहीं ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ जैसे शब्द की वजह से समाज का सामान्य माहौल बिगड़ सकता है और बेगुनाह युगलों में खौफ फैल सकता है। याचिका में कहा गया था कि पुलिस निरंकुश होकर शक्तियों का उपयोग कर रही है, जो संविधान के खिलाफ है। ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ के लिए कोई गाइडलाइन नहीं बनाई गई, ऐसे में इसका उपयोग जनहित में नहीं मॉरल पुलिसिंग में हो रही है। यह गैर-कानूनी है, इसलिए हाईकोर्ट इसे रुकवाए।
प्रदेश सरकार: नागरिक भी कानून से बंधे, वे भी कानून मानें
गृह विभाग की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता और एसएसपी लखनऊ ने हाईकोर्ट में बताया कि डीजीपी ने इस मामले से संबंधित आदेशों में साफ कहा है कि आईपीसी, सीआरपीसी, पुलिस एक्ट, यूपी पुलिस रेग्युलेशंस और अन्य कानूनों के भीतर रहते हुए ही काम किया जाए। ऐसे में स्क्वाएड की गतिविधियों को गैर-कानूनी नहीं कहा जा सकता। पुलिस गाइडलाइंस के तहत काम कर रही है। वहीं प्रदेश के नागरिक भी कानूनी से बंधे हैं जिन्हें कानून लागू करने वाली एजेंसी की बात भी माननी होगी।
सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता को रोक ने का अभियान
हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस को सादे लिबास में ‘शैडो सर्विलांस’ के लिए पूरी शक्ति है। ऐसा करके वह अपराधों को रोकने का काम करती है। डीजीपी के आदेशों के बाद पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता को रोकने का अभियान शुरू किया है। इसके जरिए महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले और उनसे खराब व्यवहार को रोका जाए। संवैधानिक या कानूनी रूप से इन आदेशों में कुछ गलत नहीं है।
नाम बदलने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र
जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस संजय हरकौली ने कहा कि ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ के नाम को लेकर भी आपत्ति या विवाद हो सकता है लेकिन इस पर हाईकोर्ट कुछ नहीं करेगा। प्रदेश सरकार चाहे तो वह इसका नाम बदलने के लिए स्वतंत्र है ताकि इस नाम से किसी को बुरा न लगे। वहीं पुलिसकर्मियों की संख्या अगर कम है तो राज्य सरकार विभाग में मौजूद रिक्तता को भरने के लिए कदम उठा सकती है।
वीडियोग्राफी साक्ष्य के लिए जरूरी
याची ने अभियान के दौरान वीडियोग्राफी और फिर उसे सोशल मीडिया पर डालने पर आपत्ति जताई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून की भावना के अनुरूप गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए वीडियोग्राफी साक्ष्यों के लिए की जाती है। यह निजता का हनन नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को अपनी वीडियोग्राफी पर आपत्ति है तो वह इसके खिलाफ केस दर्ज करवा सकता है।
राज्य सरकार का सहयोग हर नागरिक का दायित्व
याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह राज्य सरकार के साथ सहयोग करते हुए महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करवाए। ऐसी गतिविधियां बंद होनी चाहिए जो महिलाओं के सम्मान के लिए अशोभनीय है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीजीपी द्वारा ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ को लेकर 22 मार्च को दिए आदेशों का हवाला दिया। इनमें कहा गया था कि यह अभियान चौराहों, मार्केट, मॉल्स, पार्कों व अन्य सार्वजनिक स्थलों को असामाजिक तत्वों से मुक्त कराने के लिए है ताकि उन्हें महिलाओं और बालिकाओं के लिए सुरक्षित बनाया जाए। इस आदेश में साफ कहा था पुलिस ऐसी कोई सजा नहीं देगी, जिसका विधिक आधार नहीं है, जैसे किसी के बाल काटना, उसे मुर्गा बनाना या चेहरे पर कालिख पुतवाना। बार बार लड़कियों को छेड़ने वालों को सामाजिक रूप से लज्जित किया जा सकता है। इस आदेश में साफ है कि पुलिस युगलों और सामान्य व्यक्तियों को परेशान नहीं करेगी जो इन जगहों पर सामाजिक परंपराआें के दायरे में रहते हुए मिलें।
मुख्यमंत्री जता चुके नाराजगी
हाईकोर्ट ने कहा कि जब लोगों की शिकायतें डीजीपी को पहुंचीं तो उन्हाेंने फिर से 25 मार्च को आदेश जारी किए कि जिनमें कहा गया कि ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ अभियान से पहले सार्वजनिक जगहों पर सादे लिबास में पुलिस को भेजकर चिह्नित करेगी और फिर वहां अभियान चलाया जाएगा। कपल्स और वयस्कों पर कार्रवाई नहीं होगी जो सामाजिक परंपराओं के दायरे में रहते हुए सार्वजनिक स्थलों पर मिल जुल रहे हों।
एसएसपी मंजिल सैनी द्वारा 25 मार्च को जारी कार्यालय आदेश में कहा गया कि पुलिस अति उत्साह में अनावश्यक रूप से लोगों को तंग न करे। मॉरल पुलिसिंग हरगिज न की जाए। केवल ऐसी जगहों जहां असामाजिक तत्वों को जमावड़ा हो, पुलिस कार्रवाई करे। वहीं वीडियोग्राफी करने या नैतिकता का पाठ न देने के लिए भी कहा गया। मॉरल पुलिसिंग की जानकारी सामने आने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।