भारत में हथियार बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को जल्द ही तरजीह मिल सकती है। प्राइवेट सेक्टर द्वारा हथियार बनाने को लेकर “स्ट्रटेजिक पार्टनरशिप” पोलिसी की व्यापक रूपरेखा लगभग तय हो चुकी है और बीते शनिवार (20 मई) को इस सिलसिले में खास बैठक हुई। डिफेंस एक्वाइजेशन काउंसिल (DAC) की बैठक में रक्षा मंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे। पार्टनर्शिप स्ट्रेटजी को लेकर प्राइवेट सेक्टर के लिए कई सकारात्मक पहलू सामने आए। टाइम्स ग्रुप की खबर के मुताबिक 39 अटैक हेलीकॉप्टरों के आधुनिकीकरण के प्रपोजल्स को मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि “स्ट्रटेजिक पार्टनरशिप” पोलिसी की खसियत यह होगी कि यह “मेक इन इंडिया” के तहत भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करेगा। प्राइवेट सेक्टर के दरवाजे फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर, पंडुब्बी और बखतरबंद गाड़ियों आदि के लिए खोले गए हैं।
खबर के मुताबिक डीएसी “स्ट्रटेजिक पार्टनरशिप” पोलिसी को इसी महीने में हर झंडी दे सकता है। गौरतलब है भारत अपने डिफेंस इक्विप्मेंट्स की 65 फीसद की जरूरत आयात के जरिए पूरा करता है। वहीं “स्ट्रटेजिक पार्टनरशिप” पोलिसी को कैबिनेट कमिटी से फाइनल अप्रूवल मिलना अभी बाकी है। खबर के मुताबिक नीति की रूपरेख की बात करें तो इस सही से लागू होने में एक साल तक का समय लग जाएगा। शुरुआत में हर एक सेगमेंट के लिए सिर्फ एक ही कंपनी को ठेका दिया जाएगा। इसके अलावा पोलिसी के तहत कंपनियों का चुनाव करने में भी कई मानक तय किए जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय उन कंपनियों को सिलेक्ट करेंगे जिनकी वित्तीय स्थिति अच्छी हो। इसके लिए उन कंपनियों को चुना जाएगा जिनका बीते तीन सालों का सालाना टर्नओवर 4 हजार करोड़ रुपये और कैपिटल एसेट्स 2 हजार करोड़ रुपये की हों। इसके अलावा तकनीकी विशेषज्ञता, इंफ्रास्ट्रक्चर को भी ध्यान में रखा जाएगा। साथ ही कंपनियों के डिफॉल्टर, कर्ज और एनपीए रिकॉर्ड्स को भी देखा जाएगा। इसके अलावा ठेका देने से पहले कंपनी के इको-सिस्टम डेवलप्मेंट, सप्लायर बेस और फ्यूचर रिसर्च एंड डेवलप्मेंट प्लान्स/स्ट्रैटजी की भी परख की जाएगी।