केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्याओं को लेकर सुरक्षा से जुड़ी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि किसी भी रोहिंग्या को भारत में शरण नहीं मिलेगा. वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. म्यांमार से घुसे लोग शरणार्थी नहीं हैं, क्योंकि इन्होंने कोई कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की है.
गृहमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की संधि के मुताबिक, रोहिंग्या बिना किसी आधार के भारतीय सीमा में घुसे हैं. उनको लेकर म्यांमार से भी बात हुई है. म्यांमार इन्हें वापस लेने को तैयार है. किसी भी रोहिंग्या को भारत ने शरण नहीं दी है और न ही किसी ने आवेदन किया है.
उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ लोगों के आतंकवाद से जुड़ने के सबूत मिले हैं. भारत यदि रोहिंग्या को वापस भेजे जाने की बात करता है तो लोगों को आपत्ति क्यों है?
इससे पहले म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची ने कहा था, रोहिंग्या समूहों ने म्यांमार पर हमले कराए. म्यांमार ने उन्हें संरक्षण दिया, लेकिन इसका नतीजा क्या निकला. जो लोग म्यांमार वापस आना चाहते हैं, उनके लिए रिफ्यूजी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने के मुद्दे पर कहा कि ये अराजकतावादी और अपराधी हैं. उन्हें कोई भी देश अपनाने को तैयार नहीं है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के नाम पर परेशान करने का आरोप लगाया है. उन्होंने ये कहा कि हर रोहिंग्या मुस्लिम आतंकी नहीं है. उन्हें वापस नहीं भेजना चाहिए.