अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को समाप्त करने के कदम को लेकर समाजवादी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा में आज भारी हंगामा किया। हालांकि मोदी सरकार ने इस तरह का कोई कदम उठाए जाने से साफ इंकार किया। सबसे पहले सपा नेता रामगोपाल यादव ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को समाप्त करने के कथित कदम का मुद्दा उठाया।
सदन में मौजूद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार यह कह चुके हैं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की संवैधानिक स्थति बरकरार रहेगी। गहलोत ने कहा जनसंघ के समय से ही हम इन समुदायों को आरक्षण दिए जाने के पक्षधर रहे हैं और हमारा यह समर्थन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का निर्णय किया है और उसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आयोग की तरह ही अधिकार मिल जाएंगे।
बसपा-कांग्रेस ने किया रामगोपाल का समर्थन
इससे पहले सदन की बैठक शुरू होने पर सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के बाद किया गया था। इस आयोग को सरकार ने संवैधानिक दर्जा देने का वादा किया था लेकिन इसके बजाय उसे समाप्त कर दिया गया है।
यादव ने कहा कि इस आयोग की जगह राष्ट्रीय सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग (एनएसईबीसी) बनेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दलितों को मिल रहे आरक्षण के साथ एक बड़ी साजिश के तहत किया जा रहा है। सपा नेता ने कहा कि नया आयोग अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल किए जाने वाले और सूची से हटाए जाने वाले अनुरोधों की जांच करेगा और आवश्यक सिफारिश करेगा। यादव ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि यह कदम सत्तारूढ़ दल के मार्गदर्शक मंडल के दर्शन से निर्देशित है जो चाहता है कि आरक्षण को समाप्त किया जाना चाहिए।
सपा नेता ने कहा कि पिछड़ा वर्ग खुद को छला हुआ महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि यादव, कुर्मी, लोध और कुशवाहा आदि पिछड़े समुदायों ने कुछ सामाजिक प्रगति की जिसके बाद उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची से हटाया जा रहा है। बसपा और कांग्रेस के सदस्यों ने यादव की बात का समर्थन किया।