क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में मंत्री रहते हुए टीवी शो नहीं कर सकते हैं। यह कहना है पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा का। एडवोकेट जनरल से सिद्धू के शो करने पर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कानूनी राय मांगी थी, जिसका जवाब उन्हें मिल गया है।
पंजाब के एजी ने कहा कि सिद्धू इस वक्त संस्कृति मंत्रालय संभाल रहे हैं। एक्टिंग और सांस्कृतिक मंत्रालय एक-दूसरे से जुड़े हैं और इसे हितों का टकराव माना जाता है। नवजोत सिंह सिद्धू बार-बार अपना बचाव कर रहे हैं यह कहकर कि मैं शाम 6 बजे से सुबह 9 बजे तक क्या करता हूं, उससे किसी को मतलब नहीं होना चाहिए।
इससे पहले इस प्रश्न पर कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह लाभ के पद के नियमों का उल्लंघन करेगा। मंत्रियों ने निजी तौर पर नई कांग्रेस सरकार को सलाह दी कि लाभ के पद से जुड़ा कानून किसी मंत्री को उस पद पर बने रहने की इजाजत नहीं देता जो उसे वित्तीय फायदा या लाभ का मौका देता हो। उन्होंने कहा कि लाभ का पद नियम केंद्र सरकार के लिए बिल्कुल स्पष्ट है और यह राज्यों के लिए भी वैध है।
पिछले उदाहरणों को याद करते हुए आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसी वजह से अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने वर्ष 2014 में मोदी सरकार में मंत्री पद का शपथ लेने के पश्चात वकालत करने का अपना लाइसेंस सौंप दिया था। बाबुल सुप्रियो ने भी भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री बनने के बाद वाणिज्यिक पार्श्वगायन छोड़ दिया था।
सूत्रों ने बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जब संप्रग सरकार में मंत्री बने थे तब कंपनियों का निदेशक पद छोड़ने की यही सलाह उन्हें दी गई थीं। सूत्रों के अनुसार कोई ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि मंत्री कहे कि शाम छह बजे के बाद या सप्ताहांत को वह क्या करता है, उसके लिए वह जवाबदेह नहीं है। यह नियम सांसद या विधायक पर लागू हो सकता है न कि मंत्रियों पर।
क्रिक्रेटर से नेता बने सिद्धू ने पिछले हफ्ते कॉमेडी शो ‘द कपिल शर्मा शो’ पर अपनी साप्ताहिक उपस्थिति जारी रखने का निश्चय प्रकट किया था। उन्होंने कहा था कि वह शूटिंग के लिए हर शनिवार को मुम्बई चले जाएंगे और रविवार को पंजाब लौट आएंगे।