Saturday, July 27, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यों के ने हथकंडे हाईवे बने ‘स्थानीय मार्ग’

SI News Today

देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बाईपास करने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने जब से नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के किनारे शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाई है, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान सहित अन्य राज्यों ने हजारों किलोमीटर सड़कों का दर्जा बदलकर स्थानीय, नगरपालिका या जिला स्तरीय कर दिया है।

ज्यादातर राज्यों ने हाईवे का दर्जा बदलने के लिए कोई ठोस कारण नहीं दिया है। कुछ ने तो इस बात से भी इनकार किया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण ऐस कदम उठाया गया है। हालांकि ज्यादातर मामलों में 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने के बाद से ही यह ट्रेंड चल पड़ा है। पिछले हफ्ते महाराष्ट्र ने तीन प्रस्तावों को मंजूरी देकर राज्य से गुजरने वाले हाईवे को शहरी सड़क का दर्जा देने का आदेश दिया। वहीं, हिमाचल प्रदेश ने राज्य से गुजरने वाले 16 हाईवे को बड़े जिला सड़कों में तब्दील करने का फरमान सुना दिया।

पश्चिम बंगाल सरकार ने उसके राज्य से गुजरने वाले 275 मिलोमीटर हाईवे को नगर निकाय स्तरीय सड़क में तब्दील करने को कहा है। यह अधिसूचना 16 मार्च को पीडब्ल्यूडी की वेबसाइट पर डाली गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2016 को हाईवे के किनारे शराब पर पाबंदी का आदेश दिया था और इस वर्ष 31 मार्च को उस पर अंतिम मुहर लगा दी।

उत्तराखंड सरकार ने भी इसी तरह का फैसला लिया। वहां विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर शराब कारोबारियों को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया। और तो और नशे की गिरफ्त में रहा पंजाब ने भी सात हाईवे को डीनोटिफाइड कर उसे स्थानीय सड़क का दर्जा दे दिया है। इन सबके इतर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर ने कहा है कि भारत बहुत बड़ा देश है। उसमें गोवा एक पर्यटन राज्य है, हमें कुछ छूट चाहिए।

हालांकि उन्होंने कहा कि वह राज्य के हाईवे को डीनोटिफाई नहीं करेंगे। वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि राजस्व बचाने के लिए विभिन्न राज्यों से नेशनल हाईवे को जिला स्तरीय सड़क बनाने का आवेदन मिला है।

जल्द खुलेंगे पांच होटल बार
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास बंद किए गए बार को जल्द खोला जाएगा। दिल्ली सरकार की एक समिति ने कहा है कि ये बार हाईवे के 500 मीटर के दायरे के बाहर हैं।

दिल्ली आबकारी विभाग के चार सदस्यीय समिति ने इन होटल बार के लाइसेंस को पुनर्बहाल करने की सिफारिश की है। समिति ने पाया कि ये सभी होटल बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 500 मीटर से ज्यादा दूरी पर स्थित हैं।

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