एक जुलाई से देश में लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर बहुत सारी बातें अभी साफ नहीं हैं। देश में लगने वाले सभी अप्रत्यक्ष करों की जगह लेने वाले जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं पर चार वर्गों (5, 12, 18 और 28 प्रतिशत) में टैक्स लिए जा रहे हैं। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी के तहत कार्पोरेट जगत के वरिष्ठ अधिकारियों को मिलने वाले अतिरिक्त लाभ (पर्क्स) और 50 हजार रुपये से अधिक के उपहार (गिफ्ट) पर विशेष जीएसटी लग सकता है। रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त लाभ या उपहार के अनुसार ये टैक्स 18-43 प्रतिशत तक टैक्स हो सकता है।
ईटी को वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों को दिया जाने वाल उपहार या लाभ “आपूर्ति” की तरह बरता जाएगा और इस पर जीएसटी लगेगा। हालांकि कंपनियां इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकेंगी। रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों द्वारा किए गए ऐसे सभी खरीदारियों का ब्योरा जीएसटी नेटवर्क की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा इसलिए इस टैक्स की गणना मुश्किल नहीं होगी।
ऐसे लाभ में पेड छुट्टियां, होलीडेज होम, कल्ब की मेंबरशिप और ड्राइवर इत्यादि की सुविधा शामिल हो सकती हैं जिनका जिक्र नौकरी के मूल अनुबंध में नहीं हो। इससे कंपनियां इन सुविधाओं को नौकरी के अनुबंध में शामिल करने की तरफ प्रेरित हो सकती हैं। जीएसटी के अनुसार कंपनी द्वारा कर्मचारियों को दी जाने वाली सेवाओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा बशर्ते वो काम से जुड़ी हों लेकिन अन्य तरह की सेवाओं पर टैक्स लगेगा। टैक्स जानकारों के अनुसार किस तरह की सेवाओं पर जीएसटी लगेगा ये बहुत साफ नहीं है और सरकार को इसे स्पष्ट करना चाहिए। जानकारों के अनुसार जिम, क्रेच और लंच-डिनर इत्यादि जैसी सुविधाओं पर जीएसटी को लेकर सरकार को स्थिति साफ करना चाहिए।
जानकारों के अनुसार अच्छे काम के एवज में मिलने वाले पुरस्कार पर जीएसटी लगेगा या नहीं इसे लेकर भी दुविधा की स्थिति है। हालांकि उच्च अधिकारियों को मिली कंपनी की कार के निजी इस्तेमाल पर जीएसटी लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी लागू होने से पहले ऐसी सुविधाओं और सेवाओं पर कंपनियों को केवल 12-14 प्रतिशट वैट देना होता था लेकिन अब उन्हें 29-43 प्रतिशट टैक्स देना होगा। इसके अलावा कंपनियों के लिए सीनियर अधिकारियों को दिए जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं और उपहारों का हिसाब भी रखना होगा।