Tuesday, May 21, 2024
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भारत: कंपनियों के सीईओ तो मालामाल हैं, मगर कर्मचारी बेहाल

SI News Today

भारतीय कंपनियों में मुख्य कार्यपालकों (सीईओ) और अन्य कर्मचारियों के वेतन में भारी अंतर है और कुछ मामलों में तो यह फर्क ढाई सौ से लेकर 1,200 गुना से भी अधिक है।  सेंसेक्स की शीर्ष कंपनियों द्वारा किए गए वेतन संबंधी आंकड़ों के विश्लेषण से यह तथ्य सामने आया है। ज्यादातर निजी क्षेत्र की कंपनियों में सीईओ और अन्य वरिष्ठ कार्यकारियों मसलन कार्यकारी चेयरमैन आदि के पैकेज सामान्य कर्मचारियों की तुलना में सैकड़ो गुना ऊंचे हैं। 2016-17 में इसमें और इजाफा हुआ है। इसके विपरीत इसी दौरान कर्मचारियों के वेतन या तो पहले जितने ही बने रहे या घट गए।
हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में ऐसी स्थिति नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के प्रमुखों और औसत र्किमयों के वेतन में अंतर तीन-चार गुना का ही है।

हालांकि, कंपनियों अपने शीर्ष कार्यकारियों को कितना वेतन देना चाहती हैं, नियम इस पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगाते। सेबी के नियमनों के तहत ज्यादातर सूचीबद्ध कंपनियों को सालाना आधार पर अपने कर्मचारियों के वेतन पैकेज के अनुपात को सर्वाजनिक करना होता है। हालांकि शीर्ष कार्यकारियों के वेतन के लिए विशेष रूप से प्रवर्तक समूह से संबंधित के मामले में कंपनी के बोर्ड, विभिन्न समितियों और शेयरधारकों की अनुमति लेनी होती है। इसके अलावा अपर्याप्त मुनाफे वाली कंपनियों को अपने शीर्ष कार्यकारियों को अधिक वेतन भुगतान के लिए सरकार की अनुमति लेनी होती है। नियमों के तहत किसी प्रबंध निदेशक या पूर्णकालिक निदेश या प्रबंधक का वेतन कंपनी के शुद्ध लाभ के पांच प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।

यदि कंपनी में एक से अधिक निदेशक हैं तो उन सभी का कुल वेतन कंपनी के शुद्ध लाभ का 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से 15 ने पहले ही 2016-17 के लिए शीर्ष कार्यकारियों और औसत कर्मचारियों के वेतन अनुपात में बढ़ोतरी का खुलासा किया है। नौ कंपनियों ने अभी यह ब्योरा नहीं दिया है। सेंसेक्स की छह कंपनियों में यह अनुपात घटा है। विप्रो में यह 260 गुना से 259 गुना रह गया है। इन्फोसिस में यह 283 गुना, डॉ रेड्डीज लैब में 312 गुना से 233 गुना और हीरो मोटोकार्प में 755 से 731 गुना पर आ गया है। देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस अनुपात का खुलासा नहीं किया है। अन्य कंपनियों में टीसीएस में यह अनुपात 460 से बढ़कर 515 गुना, ल्यूपिन में 1,317 से घटकर 1,263 गुना पर आ गया है।

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