शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना जल्द ही अनिवार्य किया जा सकता है। लॉ कमीशन ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी के 30 दिन के अंदर मैरिज रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया जाना चाहिए। लॉ कमीशन की ओर से ‘कम्पलसरी रजिस्ट्रेशन ऑफ मैरिजेज’ टाइटल नाम से अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में रेजिस्ट्रेशन न कराने वालों पर जुर्माना लगाने की भी बात कही गई है। रिपोर्ट में बिना किसी वाजिब वजह से देरी रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर 5 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से फाइन लगाने की सिफारिश की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिफारिशों के समर्थन में लॉ कमीशन ने कहा कि इससे बाल विवाह, द्विविवाह और बहुविवाह को रोकने के लिए पहले से मौजूद कानून के क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। यह जबरन विवाह जैसे प्रथाओं को नष्ट करने में सहायता करेगा। इसके अलावा यह महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानत में भी मददगार साबित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को साल 2006 में शादी के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) को अनिवार्य करने का आदेश दिया था। इसके बाद केरल, हिमाचल और बिहार सरकार ने इसे लागू कर दिया था। लॉ कमीशन ने स्पष्ट किया है कि सरकार का व्यक्तिगत कानूनों में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सभी धर्मों और मान्यताओं के लोगों की शादी रजिस्टर्ड हो।
नए नियमों के तहत पंजीकरण रहित दस्तावेज के साथ पूरी तरह से स्वचालित प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साथ ही इसमें कहा गया है कि यह सिर्फ शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए है। लॉ कमीशन की रिपोर्ट से पहले हाल ही में यूपी के योगी सरकार ने विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करने का फैसला ले चुकी हैं। पिछले महीने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। अब सभी धर्मों के लोगों को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। सपा के शासनकाल में भी 2015 में मंत्री अहमद हसन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी। इस समिति की सिफारिशों में मुस्लिम समुदाय को छूट देने की खबरें भी मीडिया में आई थीं, लेकिन आखिरी में कोई नियम नहीं बन सका।