Sunday, April 28, 2024
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सिंगर कैलाश खेर की पत्नी क्यों आत्महत्या करना चाहती थी, जानिए…

SI News Today

बॉलीवुड के मशहूर सिंगर कैलाश खेर की पत्नी शीतल भान कभी अपनी जिंदगी से इतना तंग आ गई थी कि वह आत्महत्या करना चाहती थी। लेकिन शीतल भान की जुझारू और संघर्षशील प्रवृति ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया और उन्होंने मौत के बजाय जिंदगी का रास्ता चुना। शीतल भान पेशे से लेखिका हैं और मुंबई में रहती है। आठ साल पहले उनकी शादी कैलाश खेर से हुई थी। शीतल भान ने हिन्दुस्तान टाइम्स से अपनी जिंदगी के अनुभवों को साझा किया। शीतल बताती हैं कि जब वो 15 साल की थीं तभी उनका यौन शोषण हुआ था। बकौल शीतल भान ये उनकी जिंदगी का सबसे खौफनाक अनुभव था।

शीतल भान ने कहा, ‘मेरे साथ बचपन में ही यौन शोषण हुआ था, दुर्भाग्य से हमारे परिवार में इस बारे में बात करने की परंपरा नहीं है, इस दौरान मैं ऐसी पीड़ा से गुजरी थी कि मेरे मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे।’ शीतल बताती है कि ज्यादातर समय ऐसे शख्स हमारे जानने वाले होते हैं, लेकिन आप इनसे निपटते कैसे हैं ये अहम है। उन्होंने कहा कि दिक्कत ये है कि हमारे यहां बात करने की पंरपरा नहीं है, अगर कोई बच्चा अचानक से चुप हो जाए, बात करना बंद कर दे तो उसकी काउंसलिंग के लिए कोई जगह नही है।

अपने खौफनाक अनुभव को बताते हुए शीतल कहती हैं कि मैंने जिंदगी में एक बार ही सुसाइड की कोशिश की है। दूसरी बार जब मैंने ऐसा करने की कोशिश की तो वो अपने आप को नुकसान पहुंचाने जैसा था। शीतल के मुताबिक तब मैं 15 साल की थी और जब मैं ऐसा करना चाह रही थी उस वक्त मेरे साथ गलत हो रहा था, लेकिन अपने दर्द को बांटने के लिए मेरे पास कोई नहीं था। जिसे मैं इन चीजों के बारे में बता पाती। शीतल भान आजकल के अभिभावकों से अपील करती हैं कि अपने बच्चे पर बेहद ध्यान दें। उसकी हरकतें, उसकी आदतें इन सब पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

अपनी जिंदगी के उस एपिसोड के बारे में शीतल भान का कहना है कि हर बच्चे के माता-पिता उन्हें प्यार करते हैं, लेकिन ऐसा क्यों है कि बच्चे अपनी दिक्कतें उन्हें नहीं बताते हैं। शीतल कहती हैं कि ये आस पास का माहौल और परिस्थितियां होती हैं। शीतल के मुताबिक वो अच्छी छात्रा नहीं थी, उनके नंबर अच्छे नहीं आते थे। इससे उन्हें यकीन होने लगा कि वो अपनी मम्मी-पापा की बदनामी कर रही है। शीतल के मुताबिक बच्चा होने के नाते अपने आपको दोष देना आसान होता है। इसके बाद बच्चे हद पार कर जान देने में भी नहीं चूकते हैं। शीतल बताती हैं कि उन्होंने संघर्ष के दौर में जीवन के सकारात्मक पक्ष को देखा। जब वह कॉलेज गईं तो कई ऊर्जावान लोगों से मिली और यहीं से उनकी जिंदगी ने अलग मोड़ ले ली।

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