केंद्र की मोदी सरकार 11 अरब डॉलर की सरकारी संपत्ति बेचने जा रही है। इसमें शिपयार्ड में लगे हॉल्डिंग और और भारतीय सेना की आपूर्ति करनी वाली फैक्टरियां शामिल हैं। सरकार निवेशकों को अधिक मुनाफे के लिए यह संपत्ति खरीदने का मौका दे रही है जिससे कि रक्षा खर्च में बढ़ोत्तरी की जा सके। आपको बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है जो कि हथियारों का निर्यात करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि इसमें बदलाव किया जाए। इन संपत्ति में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड है जो कि घरेलू लड़ाकू विमान बनाने की कोशिश कर रहा है, और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड है जिसने हाल ही में भारत का पहला घरेलू-निर्मित विमानवाहक बनाया था। इस शिपयार्ड ने पिछले पांच सालों में लगभग दो गुना कमाई की है लेकिन वहीं सबसे बड़े ग्लोबल शिपयार्ड की बात करें तो वह अभी भी गरीब है।
पाकिस्तान और चीन से सीमा विवाद के चलते पीएम मोदी ने वचन लिया है कि 2050 तक देश के लिए हथियारों और सैन्य उपकरणों पर 250 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। भारत लगभग 70 प्रतिशत हथियारों और अन्य रक्षा उपकरणों की खरीदारी विदेशों से करता है। स्टॉक एक्सचेंज इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक पिछले सात साल में रक्षा खरीदारी को लेकर भारत प्रथम स्थान पर है। चालू वर्ष में संपत्ति की बिक्री के बाद होने वाली कमाई में मोदी प्रशासन 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहा है, जिससे कि शेयर बाजार में लाभ उठाया जा सके।
कोचिन शिपयार्ड द्वारा भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया यह विमानवाहक कंपनी का बहुत “महत्वपूर्ण हिस्सा” है। इससे पहले देश का केवल मौजूदा वाहक एक पूर्व सोवियत पोत है जो कि 1996 में रुस द्वारा निष्कासित कर दिया गया था जिसे एक दशक के बाद रिहा किया गया था। कोचिन शिपयार्ड के चेयरमैन ने बताया कि कंपनी के दस्तावेज पिछले महीने दे दिए थे। वहीं एचएएल की बात करें तो कंपनी के चेयरमैन ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।