Saturday, July 27, 2024
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नहीं रहे भारतीय सिनेमा के गीतकार गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’

SI News Today
Indian cinema's songwriter Gopaldas Saxena 'Neeraj'
 

कहता है जोकर सारा जमाना, आधी हकीकत आधा फसाना..

रंगीला रे, तेरे रंग में क्यूं रंगा है मेरा मन…

भारतीय सिनेमा के एक ऐसे सितारे जो न सिर्फ एक साहित्यकार थे, एक कवि थे, एक लेखक थे बल्कि एक गीतकार भी थे. एक ऐसे गीतकार जिन्हें संगीतकार सचिन देव बर्मन ने जान बूझकर गीत लिखने के लिए मुश्किल परिस्थिति दी लेकिन देखिए इस महान इंसान और गीतकार को जिन्होंने उनसे खीझने की बजाय एक ही रात में ‘रंगीला रे…तेरे रंग में’ जैसा फेमस गाना लिख दिया, जिसे लोग आज भी गुनगुनाते हैं. हम उस शख्स की बात कर रहे हैं, जिनका 93 साल की उम्र में गुरूवार को ही निधन हो गया. उनका नाम था गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’. साहित्य से लेकर गीत तक में गोपालदास जी बेहद ही सरल भाषा यानि बोलचाल की भाषा में गीतों और कविताओं को लिखा करते थे और इसी वजह से उनकी छवि लोगों के जेहन में भी रही. वो समान रूप से लोकप्रिय थे. 60-70 के दशक में गोपालदास जी को मुंबई फिल्म ‘नई उमर की नई फसल’ का गीत लिखने के लिए बुलाया गया था. अपनी पहली ही फिल्म में उन्होंने ऐसे शब्द बुने कि उनका लिखा पहला गीत ‘कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे’ ही जबरदस्त हिट रहा. ये उनके जीवन का वो गीत था जिसे सुनने के लिए लोग कवि सम्मेलन में उमड़ते थे. उन्होंने इस गीत के अलावे भी कई माइलस्टोन गीत लिखे हैं, जिन्हें लोग आज भी बड़े ही शौक से बजाते हैं और उनकी धुन भी बहुत ही मधुर लगती है.

देवानंद से गोपालदास जी की दोस्ती इस हद तक थी कि देवानंद ने साल 2010 में गोपालदास जी को उसी बिल्डिंग में एक फ्लैट ऑफर की थी जिस बहुमंजिला इमारत में देवानंद ने फ्लैट खरीदा था लेकिन गोपालदास जी ने फ्लैट लेने से मना कर दिया. आज उनके मरणोपरांत कई नामचीन हस्तियां उन्हें याद कर रही हैं, जिनमें प्रसून जोशी से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं.

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