राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि संस्कृत अध्यात्म, दर्शन या साहित्य तक ही सीमित नहीं है और विशेषज्ञों का मानना है कि यह मशीनी भाषा और कृत्रिम बुद्धिमता में इस्तेमाल के साथ अलगोरिदम के लिए भी उपयुक्त है. राष्ट्रपति ने श्री लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के 17 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की .
‘भारत की आत्मा संस्कृत भाषा में दिखती है’
राष्ट्रपति ने कहा , ‘‘ संस्कृत भाषा , साहित्य और विज्ञान की परंपरा हमारे बौद्धिक विकास की शानदार यात्रा में सबसे असरदार अध्याय है. ’’ प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक उन्होंने कहा , ‘‘ यह कहा जाता है कि भारत की आत्मा संस्कृत भाषा में दिखती है , जो कि कई भाषाओं की जननी है. ’’
कोविंद ने कहा , ‘‘ ऐसा नहीं है कि संस्कृत में किया गया कार्य अध्यात्म , दर्शन , भक्ति , कर्मकांड या साहित्य तक ही सीमित है. यह ज्ञान और विज्ञान की भी भाषा है. आर्यभट्ट , वराह मिहिर , भास्कर , चरक और सुश्रुत जैसे वैज्ञानिकों और गणितज्ञों का महत्वपूर्ण कार्य संस्कृत में ही हुआ. ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ कई विद्वानों का मानना है कि नियमों पर आधारित और तार्किक संस्कृत व्याकरण अलगोरिदम लेखन के लिए सबसे उपयुक्त या मशीन लर्निंग और कृत्रिम बुद्धिमता में भी उपयोगी है. ’’ गणित , कंप्यूटिंग में किसी कार्य के लिये आवश्यक चरणों के समूह को अल्गोरिदम कहते है. मशीनी भाषा से आशय कंप्यूटर या यंत्र की प्रोग्रामिंग की भाषा से है .