दुर्गा सप्तशती के अर्गलास्त्रोत के मंत्र मंदिरों, पूजा-पंडालों के साथ घरों में गूंज रहे हैं। मंदिरों का पट खुलते ही माता के जयकारे से पूरा माहौल भक्तिमय दिख रहा है, लोग माता के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं। आज महाष्टमी के मौके पर मंदिरों में महापूजा का आयोजन किया गया है।
चारों ओर अगरबत्ती और धूप की महक के साथ ही देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्, रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि, यानी हे मां मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो, परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो, गूंज रहा है।
मां के दर्शन का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं ने सुबह 9.02 बजे के बाद से पट खुलते ही मां आदिशक्ति से मंगलकामना करते हुए सुख व शांति का वरदान मांगा। रात भर पूरे पटना में चहल-पहल रही, रात में रौशनी से पूरा शहर नहा रहा था। लोग माता की एक झलक पाने को लालायित दिखे।
सप्तमी पर हुई विशेष पूजा
बुधवार को अहले सुबह बेल पूजन किया गया। इसके बाद पत्रिका प्रवेश तथा उसके ठीक बाद मां का प्रतिमा पूजन और प्राण प्रतिष्ठा की गई। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी तिथि और मूल नक्षत्र के योग पर प्राण प्रतिष्ठा का विधान तय है। इसके ठीक बाद बुधवार की सुबह से शाम तक मूल नक्षत्र युक्त सप्तमी तिथि में भगवती श्री दुर्गा का षोड़शोपचार पूजन और आरती कर मूल नक्षत्र में पट खोल दिया गया।
इसके तुरंत बाद मां के जयकारे पूजा स्थलों में गूंजने लगे। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है जैसे गाने की धुन चारों ओर बज रहे हैं। पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है।
आज महा अष्टमी, होगा महागौरी का पूजन
प्राचीन मंदिरों में गुरुवार को महाअष्टमी के दिन महागौरी का पूजन किया जायेगा। उसके बाद अगले दिन नवमी को सिद्धिदात्री की पूजा के बाद प्राचीन मंदिरों में बलि के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ेगा। दरभंगा हाउस काली मंदिर और सिद्धेश्वरी काली मंदिर के साथ अखंडवासिनी मंदिर और महावीर मंदिर में पूजा की महिमा अपरंपार है।
अशोक राजपथ पर दरभंगा हाउस स्थित काली मंदिर की स्थापना दरभंगा महाराज द्वारा 150 साल पूर्व करायी गयी थी और यहां मान्यता है कि पूजा करने के बाद भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। बांसघाट स्थित सिद्धेश्वरी काली मंदिर में सप्तमुंड पर मां काली स्थान तंत्र साधना के लिए जाना जाता है।
यहां मां के पूजन से विवाह की बाधाएं दूर होती है। गोलघर में अखंडवासिनी मंदिर में 112 साल से अखंड दीप जल रहा है। यहां पर ज्योति के दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती है।
बांग्ला मंडपों में आज व कल संधिपूजा, सिंदूर खेल
विजयादशमी को कालीबाड़ी में जो प्रतिमा बैठायी जाती है उसमें सबसे खास बात यह होती है कि मां दुर्गा की पूजा बंगाली रीति रिवाज से ही होती है। विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन कर दिया जाता है। अष्टमी व नवमी के मध्य चामुंडा की विशेष पूजा होता है। इसे संधिपूजा कहा जाता है। इसमें मां दुर्गा के मायके से जाते समय विजयादशमी के दिन सिंदूर खेल का महत्व है