बिहार की धरती और बाहुबल का प्रयोग ना हो तो फिर क्या कहाँ? अगर राजनीति बिहार में करनी है तो बाहुबल का प्रयोग करना ही पड़ता है. यह हम नहीं कह रहे हैं नेता और विधायक जी कारस्तानियों से ही पता चलता है. चाहे विपक्ष हो या सत्ता पक्ष लाख दावे कर ले साफ़ सुथरी छवि के नेताओं को पार्टी में रखने की लेकिन चुनाव तो लड़ेंगे बाहुबली नेता जी ही. भैया वोट जो लेना है और पार्टी में संख्या बढ़ाना है कि नहीं.
चलिए छोड़िये, मुद्दे पर आते हैं सत्तापक्ष के बाहुबली विधायक जी पर कुछ ऐसा ही आरोप लगा है. भई उनकी पार्टी है कुछ तो दबंगई करेंगे. दरअसल एकमा सीट से सत्तापक्ष की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के बाहुबली विधायक धूमल सिंह एक बार फिर विवादों में गिरे हुए हैं. सीएम के आगमन से पूर्व विधायक जी पर बड़ा ही गंभीर आरोप लगा है. उनपर अंबेदकर भवन के सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने का है. लोगों का कहना है कि विधायक जी बाहुबल का प्रयोग कर बाबा साहेब की प्रतिमा को बंधक बना रखा है. हालांकि मामला सामने आने पर जदयू विधायक ने इसे गलत करार दिया है. जबकि इस मामले की जांच डीएम ने शुरु कर दी है.
जदयू विधायक पर जिस जमीन पर अवैध कब्जे की बात सामने आ रही है वो जमीन रीठ गांव मे स्थित है और लगभग आठ बीघा है. मामले की जांच करने की मांग जनविकास मोर्चा क सदस्यों ने सारण के डीएम से की है. अध्यक्ष राजबल सिंह का आरोप है कि विधायक धूमल सिंह सत्ता का दुरुपयोग कर सरकारी जमीन हड़पने के साथ साथ बाबा साहेबअंबेदकर को भी बंधक बना लिए है. विधायक जी के इस कारनामे के खिलाफ यह मोर्चा गांव गांव घूमकर पर्चा भी बांट रहा है जिससे कि बाबा साहेब अंबेदकर को कब्जे से मुक्त कराया जा सके. हालांकि विधायक जी का कहना है कि यह जमीन उनके कब्जे में 18 साल से है और इसका कागजात भी उनके पास है. लेकिन विधायक जी जमीन पर अंबेदकर भवन की भी बात स्वीकार कर रहे है और हर जांच जांच का सामना करने के लिए तैयार बता रहे हैं. गौरतलब है कि विधायक पर हाल ही में झारखंड में रंगदारी वसूलने जैसे संगीन आरोप लगे थे. डीएम हरिहर प्रसाद ने गंभीरता से लिया है और एडीएम के नेतृत्व में जांच टीम गठित कर मामले की जांच शुरु कर दी है.