केंद्र सरकार ने ग्रेटर नोएडा के जेवर में नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस हवाई अड्डे से अगले पांच-छह साल में परिचालन शुरू हो जाएगा। इसकी क्षमता सालाना तीन से पांच करोड़ यात्री संभालने की होगी। यह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के भार को भी कम करेगा। नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने बताया कि प्रस्तावित हवाईअड्डे के लिए ‘सैद्धांतिक मंजूरी’ दे दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने भी मंजूरी दे दी है। गजपति राजू के अनुसार, यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डे के लिए तीन हजार हेक्टेयर भूमि को अधिसूचित किया है। हवाई अड्डे के विकास के पहले चरण में कुल भूमि में से करीब एक हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जिस पर करीब दो हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस हवाई अड्डे के निर्माण पर कुल 15 से 20 हजार करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
नागर विमानन सचिव आरएन चौबे के अनुसार, नोएडा की मेट्रो सेवा को जेवर तक विस्तार दिए जाने की योजना है जिससे कि हवाई अड्डे से बेहतर संपर्क स्थापित किया जा सके। राज्य सरकार इस योजना पर बहुत बल दे रही है। इसके चलते केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस क्षेत्र में सड़कों की स्थिति बेहतर करने और बहु-स्तरीय संपर्क सुविधाओं के निर्माण के लिए कहा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दूसरे हवाई अड्डे की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अभी दिल्ली हवाई अड्डे का प्रतिवर्ष 6.2 करोड़ यात्री इस्तेमाल करते हैं, जिसे चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 10.933 करोड़ किया जाना है। नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के अनुसार, अगले सात साल में दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरने वालों की संख्या 10.9 करोड़ हो जाएगी, जो इसकी क्षमता पर बोझ की तरह हो जाएगा। इसलिए एनसीआर के संपर्क को बनाए रखने की जरूरत को देखते हुए यहां दूसरे हवाई अड्डे की योजना बनाई गई है।
जेवर हवाई अड्डे की 3-4 करोड़ यात्रियों को प्रतिवर्ष संभालने की क्षमता उसे मुंबई हवाई अड्डे के समकक्ष ले जाएगी, जो हर साल 4.5 करोड़ यात्रियों को सेवा देता है। सिन्हा ने कहा कि इस नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पश्चिमी प्रदेश के आगरा, मथुरा, वृंदावन, मुजफ्फरनगर, मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर और मुरादाबाद सहित एनसीआर क्षेत्र में हवाई संपर्क बढ़ेगा। जेवर हवाई अड्डा योजना का पहला चरण 5-6 साल में अस्तित्व में आ जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को भरोसा दिलाया है कि किसान इस परियोजना के लिए बातचीत के आधार पर जमीन देने को तैयार हैं।