कमीशनखोरी, फ्लैट और प्लॉट घोटालों के बाद अब लखनऊ विकास प्राधिकरण का नौकरी घोटाला सामने आया है। 12 बेरोजगारों से सुपरवाइजर और चार से मेट पद के लिए 1.16 करोड़ रुपये में डील हुई। 60 करोड़ रुपये का बयाना लेकर जाली नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए गए।
यह नियुक्ति पत्र पूर्व वीसी राजीव अग्रवाल और अधिष्ठान अधिकारी के नाम पर जारी किए गए। मामला तब खुला जब नौकरी पाने वाले ज्वॉइन करने एलडीए पहुंचने लगे। इस मामले अब तक दो एफआईआर भी पुलिस में दर्ज हो चुकी हैं।
इनमें से एक लखनऊ तो दूसरी शाहजहांपुर में दर्ज कराई गई है। 12 लोगों को नौकरी के नाम पर फर्जी अपाइंटमेंट लेटर थमाने वाले छह लोगों ने खुद को डीएम कार्यालय और एलडीए में कार्यरत बताया था।
इस मामले में अविनाश राना, उमेश राना, रेखा राना, नागेंद्र प्रताप सिंह, अशोक सिंह, विनीत कुमार श्रीवास्तव को आरोपी बनाकर कृष्णानगर थाने में केस दर्ज है। जबकि शाहजहांपुर के तिलहर में हुई एफआईआर के मुुताबिक किसी शिवकुमार ने खुद को एलडीए का कर्मचारी बताते हुए यहां नौकरी दिलाने का झांसा दिया।