लखनऊ : पंजाब की नाभा जेल तोड़ने का मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के एक बड़े अफसर द्वारा कथित रूप से बड़ी रकम लेने के मामले की जांच अब उच्चस्तरीय समिति करेगी. मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच का निर्णय लिया है. प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार के मुताबिक, एडीजी स्तर के अधिकारी की अगुवाई में उच्चस्तरीय समिति प्रकरण की जांच करेगी.
ADG कानून व्यवस्था को सौंपी गयी जांच
सूत्रों के मुताबिक पंजाब की पुलिस ने यूपी पुलिस पर इस रिश्वतकांड में अपने स्तर से कार्यवाही करने का दबाव डाला है. इसके साथ ही यह भी चेतावनी दी है कि अगर यूपी पुलिस ने इस कार्यवाही को नहीं किया, तो उनके पास मौजूद ऑडियो देश भर में वायरल कर दिया जायेगा. फिलहाल पंजाब पुलिस की इस चेतावनी के बाद यूपी पुलिस में तैनात IG के साथ हुई इस डील की जांच ADG कानून व्यवस्था आनंद कुमार को सौंपी गयी है. उधर सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी पुलिस अफसर ने बुधवार को सूबे के DGP सुलखान सिंह के पास पेश होकर अपनी सफाई दी है. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोप को झूठा बताते हुए कहा है कि उनके साथ कोई डील नहीं हुई है.
गोपी के लखनऊ में पकड़े जाने की बात 12 को हुई थी वायरल
नाभा जेल ब्रेक कांड में पंजाब पुलिस मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा की तलाश कर रही है. बीते 12 सितम्बर को सोशल मीडिया पर गोपी के लखनऊ में पकड़े जाने की बात वायरल हुई, लेकिन किसी जांच एजेंसी ने इसकी पुष्टि नहीं की. इसके बाद 16 सितम्बर को एटीएस ने अमनदीप, हरजिंदर सिंह व पिंटू तिवारी को पकड़कर पंजाब पुलिस को सौंप दिया गया.
45 लाख रुपये में तय हुआ था सौदा
इस बीच खबर आई कि तीनों के पकड़े जाने से पहले ही पिंटू के जरिये गोपी को छुड़ाने के लिए उप्र पुलिस के आईजी स्तर के एक अधिकारी से संपर्क साधा गया था. गोपी को छोड़ने के लिए एक करोड़ रुपये की डील हुई थी, जिसके बाद करीब 45 लाख रुपये में सौदा तय हुआ. कहा गया कि सुलतानपुर के एक होटल में डील से जुड़े लोग आपस में मिले थे, जिसकी भनक लगने पर पंजाब पुलिस ने आईबी को सूचना दी. बताया जाता है कि पंजाब पुलिस के पास गोपी को छुड़ाने को लेकर हुई बातचीत का ऑडियो भी मौजूद है. ऐसे में मामला गंभीर होते देख प्रदेश सरकार ने पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच का निर्णय लिया है. फिलहाल साफ सुथरी छवि वाले यूपी के DGP सुलखान सिंह की ईमानदारी पर इस आरोप से जहां उनकी साख को बट्टा लगा है, वहीँ सीएम योगी की छवि भी इस पूरे प्रकरण से धूमिल हुई है.