राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा समर्थित संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने गुरुवार (20 अप्रैल) अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का समर्थन किया। लखनऊ में एक कार्यक्रम में बोलते हुए एमआरएम के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने मंदिर निर्माण का आह्वान करते हुए कहा कि वहां कभी भी नमाज नहीं पढ़ी जाती थी क्योंकि उसे नापाक माना जाता है और ईश्वर ऐसी जगह पर की नमाज कबूल नहीं करेगा।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि गिरायी जा चुकी बाबरी मस्जिद का नाम पहले मुगल बादशाह बाबर के नाम पर रखा गया था और किसी धार्मिक स्थल का नाम किसी इंसान के नाम पर रखना सही नहीं है। कुमार ने कहा कि “ये पहली मस्जिद थी जिसने इस्लाम का नाम बदनाम किया। इसका नाम एक ऐसे आदमी के नाम पर रखा गया जो विदेशी और अत्याचारी था।” कुमार आरएसएश की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। कार्यक्रम में मौजूद कुछ मुस्लिम मौलवियों ने भी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन किया।
एमआरएम के उत्तर प्रदेश प्रभारी इस्लाम अब्बास ने कहा कि अदालत से बाहर मामले का निपटारा करने का सुप्रीम कोर्ट का सुझाव एक अच्छा मौका है। अब्बास ने कहा, “राम इस देश की आस्था के केंद्र हैं।” उन्होंने कहा, “हक के साथ आओ, अयोध्या विवाद सुलझाओ। खुशहाल भारत बनाओ।” कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) नेता स्वामी चिन्मयानंद ने दावा किया कि भाजपा नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का मस्जिद गिरवाने का कोई “इरादा न हीं था” और उनके खिलाफ “राजनीतिक कारणों” से मुकदमा दर्ज कराया गया।
चिन्मयानंद ने कहा कि “मुझे आडवाणी और जोशी की मंशा पता है क्योंकि आंदोलन के पीछे पांच सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी थी….मैं उसका सदस्य था। ढांचे को गिराने का फैसाल कभी नहीं लिया गया…इस पर चर्चा भी नहीं हुई थी।” वीएचपी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य चिन्मयानंद ने कहा उनके खिलाफ केस किया जा सकता था क्योंकि वो राम जन्मभूमि संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक थे लेकिन उन पर मुकदमा न करके आडवाणी और जोशी पर किया गया। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से पूछा, “तो क्या इसके पीछे राजनीति नहीं थी?” कुमार ने कार्यक्रम में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को असंवैधानिक और गैर-इस्लामिक बताया और तीन तलाक पर उसके रुख की आलोचना की।